- नगर विकास विभाग की हीलाहवाली के बाद एक्शन में गृह विभाग

- 31 अगस्त की डेडलाइन तय की, कमिश्नर संग अफसरों से मांगी रिपोर्ट

- पॉलीथीन बनाने और बेचने वाले व्यापारियों के नाम बताने को भी कहा

लखनऊ (ब्यूरो)। करीब एक वर्ष से प्रदेश को पॉलीथीन मुक्त बनाने की जिम्मेदारी नगर विकास विभाग को दी थी जिसमें वह नाकाम साबित हुआ है। यही वजह है कि अब इसकी कमान गृह विभाग ने संभाल ली है। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने सोमवार को अफसरों को अल्टीमेटम दिया कि अगर 31 अगस्त के बाद से राजधानी में पॉलीथीन का इस्तेमाल होता पाया गया तो संबंधित अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

तीन दिन में मांगी रिपोर्ट

अपर मुख्य सचिव गृह ने राजधानी में पॉलीथीन बैन की कंप्लायंस न होने पर राजधानी के नगर आयुक्त, डीएम, एसएसपी, वाणिज्य कर के उपायुक्त, सहायक आयुक्त और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव से तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। दरअसल पॉलीथीन पर बैन की कंप्लायंस कराने का जिम्मा नगर निगम, जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का था। इसके अलावा वाणिज्य कर को भी मुख्यमंत्री के आदेश के बाद ऐसे दुकानदारों और पॉलीथीन निर्माताओं के खिलाफ एक्शन लेना था जो प्रतिबंध के बाद भी इसका निर्माण और बिक्री कर रहे थे। यही वजह है कि अपर मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों से रिपोर्ट तलब कर ली है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसमें लापरवाही किस विभाग द्वारा बरती गयी।

दुकानदारों की मांगी लिस्ट

अपर मुख्य सचिव ने उन दुकानदारों की लिस्ट भी मांगी है जो प्रतिबंधित प्लास्टिक बेच रहे हैं। उन्होंने डीएम और एसएसपी को निर्देश दिए है कि संबंधित व्यापार मंडल को लिखित रूप से प्लास्टिक के प्रतिबंध से अवगत कराकर उनकी सहमति ले ली जाए कि इनके क्षेत्र में किसी भी सदस्य द्वारा प्रतिबंधित प्लास्टिक नहीं बेचा जा रहा है। इसके अलावा संबंधित जनप्रतिनिधि को भी इस सूचना से अवगत करा दिया जाए।

ये होंगे जिम्मेदार

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि 31 अगस्त के बाद यदि किसी भी क्षेत्र में प्रतिबंधित प्लास्टिक बेचे जाने की सूचना मिली तो संबंधित थानाध्यक्ष, नगर निगम के क्षेत्रीय अधिकारी, वाणिज्य कर के क्षेत्रीय अधिकारी एवं संबंधित क्षेत्र के मजिस्ट्रेट व सीओ को संयुक्त रूप से जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नगर निगम ने कई बार चलाया अभियान

राज्य सरकार द्वारा पॉलीथीन पर बैन का फैसला लिये जाने के बाद लखनऊ नगर निगम ने जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मदद से कई बार अभियान तो चलाया पर यह प्रभावी साबित नहीं हो सका। तमाम दुकानदारों और आम जनता से जुर्माना वसूलने के बावजूद प्रतिबंधित प्लास्टिक की बिक्री जारी रही। इस बीच तमाम विभागों ने अपनी व्यस्तता का बहाना बनाकर अभियान से दूरी बना ली। हाल ही में बड़ा मंगल के अवसर पर भी नगर निगम ने थोड़ी सक्रियता दिखाई पर फिर से मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

योगी सरकार ने लिया था फैसला

बताते चलें कि विगत 15 जुलाई 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट ने प्रदेश में पूरी तरह से पॉलीथीन पर प्रतिबंध का आदेश दिया था। इसके तहत किसी भी व्यक्ति के पास या किसी विक्रेता के पास अगर पॉलीथीन बैग पाया जाता है तो उसको जब्त करके उसके खिलाफ  कानूनी कार्रवाई की जानी थी। इसके अलावा पॉलीथीन बनाने या बेचने पर एक वर्ष कैद या फिर एक लाख रुपया जुर्माना का प्रावधान किया गया था। पॉलीथीन को व्यक्तिगत तौर पर रखने पर एक हजार से 10 हजार, दुकान या फैक्ट्री वालों पर 10 हजार से एक लाख रुपये जुर्माने का नियम था।

50 माइक्रॉन से पतली पर बैन

प्रदेश में पतली पॉलीथीन यानी 50 माइक्रॉन से पतली पॉलीथीन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले वर्ष 2000 में 20 माइक्रॉन से पतली पॉलीथीन पर ही प्रतिबंध था, जिसे बढ़ाकर 50 माइक्रॉन कर दिया गया था। इसके अलावा पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्मोकोल में चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध की घोषणा की गयी थी।

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- 15 जुलाई 2018 को कैबिनेट ने दी थी पॉलीथीन पर बैन लगाने की मंजूरी

- 15 जुलाई 2018 से 50 माइक्रोन तक की पतली पॉलीथीन पर लगना था बैन

- 15 अगस्त 2018 से प्लास्टिक व थर्मोकोल के कप-प्लेट व ग्लास पर बैन

- 02 अक्टूबर 2018 से सभी प्रकार के डिस्पोजेबल पॉलीबैग पर भी लगा प्रतिबंध

- 09 जून को नगर विकास विभाग ने फिर से अभियान चलाने का किया था ऐलान

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