- आयोग ने नया ड्राफ्ट किया जारी, 1 नवंबर तक सभी पक्षों से मांगा सुझाव
LUCKNOWअगर बिजली कंपनियों की ओर से तय समय सीमा में उपभोक्ता की समस्या दूर नहीं की जाती है तो डेली के हिसाब से उपभोक्ता को मुआवजा दिया जाएगा। इस संबंध में आयोग ने नया ड्राफ्ट जारी किया है। 1नवंबर तक सभी पक्षों से सुझाव भी मांगा गया है।
11 नवंबर को आम सुनवाई
उप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं जैसे ब्रेक डाउन, केबिल फाल्ट, ट्रांसफॉर्मर, नया कनेक्शन, मीटर रीडिंग, लोड घटना- बढ़ाना व अन्य मामले जिनके लिये विद्युत वितरण संहिता 2005 में नियत समय तय है, उसके बावजूद भी उपभोक्ताओं को तय समय में सेवायें नहीं दी जाती हैं। आयोग ने उपभोक्ता सेवा के मानक के लिये स्टैंडर्ड ऑफ परफार्मेंस रेगुलेशन 2019 का प्रस्तावित ड्राफ्ट सभी पक्षों की राय के लिये जारी किया है। सभी पक्ष 1 नवंबर तक राय दे सकते हैं। इसके बाद आयोग 11 नवंबर को जन सुनवाई करेगा।
ऐतिहासिक निर्णय
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब बिजली कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को मुआवजा मिलेगा। अभी विद्युत वितरण संहिता 2005 में मुआवजा का प्राविधान था लेकिन कंपनियां हीला हवाली करती थीं। उसे और विस्तारित करते हुए नये कानून का ड्राफ्ट आयोग द्वारा पेश किया गया है, जो सराहनीय है।
बाक्स
प्रस्तावित मुआवजा एक नजर में
उपभोक्ता समस्या मुआवजा (रु.)
लो वॉल्टेज 250 प्रतिदिन
नया कनेक्शन 100 प्रतिदिन
मीटर रीडिंग के मामले 200 प्रतिदिन
डिफेक्टिव मीटर 50 प्रतिदिन
बिलिंग शिकायत 50 प्रतिदिन
लोड घटना-बढ़ाना 50 प्रतिदिन
ट्रांसफार्मर फेल 150 प्रतिदिन
अंडर ग्राउंड केबिल ब्रेकडाउन 100 प्रति।
सबस्टेशन विस्तार-निर्माण 500 प्रतिदिन
काल सेंटर द्वारा सुनवाई नहीं 50 रु।
बाक्स
60 दिन में मिले मुआवजा
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रस्तावित प्रक्रिया में आयोग ने यह प्रस्ताव दिया है कि उपभोक्ता को हर हाल में 60 दिन में मुआवजा मिले। शर्त यह होगी कि उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज-डिमांड चार्ज के 30 फीसद से अधिक मुआवजा न दिया जाए।