- बरेली में छह लोग कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद बढ़ा कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा

- दूसरे प्रदेशों से हजारों लोगों के आने से भी बढ़ी टेंशन

बरेली : नोएडा से आए बेटे से दूरी न बनाने की कीमत सुभाषनगर के एक पूरे परिवार को चुकानी पड़ रही है। इसके अलावा युवक और उसके फैमिली मेंबर्स के संपर्क में आए लोगों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। इनसे कितने लोगों तक संक्रमण पहुंचा यह तो रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा, लेकिन यह केस यह बताने के लिए काफी है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग कितनी जरूरी है। अब भी अगर लापरवाही बरती तो बरेली में भी हालात बेकाबू हो सकते हैं। इसके चलते हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ पुलिस और प्रशासन भी पूरी सतर्कता बरत रहा है। वहीं दूसरे राज्यों और जिलों से आए हजारों लोग भी पुलिस प्रशासन के लिए टेंशन बने हुए हैं। इन्हें ट्रेस कर उनकी जांच कराना भी किसी चैलेंज से कम नहीं है।

भारी पड़ेगी लापरवाही

लॉकडाउन के बावजूद लोग घरों से बाहर निकलने से बाज नहीं आ रहे हैं। जहां पुलिस की सख्ती है वहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता नजर आ रहा है। गली मोहल्लों में सब्जी और किराना की दुकानों पर इसका असर नजर नहीं आ रहा है। वहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की बजाए घनी आबादी वाले इलाकों में न सिर्फच्बच्चे गुट बनाकर गली में खेलते नजर आ रहे हैं बल्कि बड़े भी बना मास्क लगाए पास-पास बैठकर ताश खेलकर टाइम पास करते नजर आ रहे हैं, लेकिन यह लापरवाही उनके साथ ही उनके परिवार के लिए भी भारी पड़ सकती है।

बाहर से आने वालों से बढ़ा खतरा

मंडे से बाहर से आ रहे लोगों को डिस्ट्रिक्ट की सीमा पर ही रोककर क्वारंटाइन करने के इंतजाम प्रशासन ने किए हैं, लेकिन इससे पहले ही दिल्ली, नोएडा, जयपुर, राजस्थान व दूसरे इलाकों से आए हजारों लोग अपने घरों में पहुंच चुके हैं। बाहर से लोंगों को ट्रेस कर पाना अब प्रशासन के लिए भी चैलेंज बना हुआ है।

कोरोना वायरस प्रकोप के अलग-अलग चरण क्या हैं

पहला चरण - इस चरण में जो लोग इस संक्रमण से प्रभावित देशों से आए सिर्फ वहीं संक्रमित होते हैं।

दूसरा चरण - इसमें लोकल ट्रांसमिशन होता है। इसका मतलब है कि सिर्फ मरीज के रिश्तेदार और परिवार के सदस्य ही संक्रमित होते हैं, इस चरण में कम लोग संक्रमित होते हैं और यह इंफेक्शन कहां से आया इसका पता भी आसानी से चल जाता है।

तीसरा चरण - यह तब होता है जब बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं और इससे कम्युनिटी ट्रांसमिशन होता है। इस स्टेज में मरीज ने न तो विदेश यात्रा की होती है और न ही वो किसी संक्रमित के संपर्क में रहा होता है। ऐसे में यह पता करना कठिन हो जाता है कि वायरस की जद में कितने लोग हैं।

चौथा चरण - यह सबसे खतरनाक स्टेज है जब बीमारी महामारी का रूप ले लेती है जिसका कोई स्पष्ट अंत नहीं होता है, जैसा चीन में हुआ है।

जिस प्रकार कोरोना के पॉजिटिव केसेज मिल रहे हैं यह गंभीर है। अगर लोगों ने लॉकडाउन का पालन ठीक से नहीं किया तो कम्युनिटी ट्रांसमिशन में प्रवेश करने में अधिक समय नहीं लगेगा इसलिए लोगों से अपील है कि घरों में रहें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। अभी स्थिति बेकाबू नहीं हुई है। इसलिए प्रशासन का सहयोग करें।

डॉ। राकेश दुबे, एडी हेल्थ।