एक रेस्टोरेंट में कॉकरोच उड़कर आया और एक महिला पर बैठ गया। महिला कॉकरोच देखकर चिल्लाने लगी, वह डर चुकी थी। उसकी प्रतिक्रिया ऐसी थी कि उसके ग्रुप के बाकी लोग भी भयभीत हो गये। उस महिला ने किसी तरह कॉकरोच को खुद से दूर किया लेकिन वो उड़ कर दूसरी महिला पर बैठ गया। दूसरी महिला भी डर कर चिल्लाने लगी, घबरा कर किसी तरह वह कॉकरोच को दूर भगाना चाहती थी। उसे बचाने के लिए पास खड़ा वेटर आगे बढ़ा, तभी महिला ने कोशिश करते हुए कॉकरोच को भगाने की कोशिश की और वह सफल हुई, अब वह कॉकरोच उड़कर वेटर की शर्ट पर आकर बैठ गया।

लेकिन वेटर घबराने की बजाय शांत खड़ा रहा और कॉकरोच की हरकतों को अपने शर्ट पर देखता रहा। जब कॉकरोच पूरी तरह शांत हो गया तो वेटर ने उसे अपनी उंगलियों से पकड़ा और उसे रेस्टोरेंट से बाहर फेंक दिया। वह वेटर परेशान क्यों नही हुआ? उसने बिना कोई शोर-शराबा किये परफेक्शन के साथ उस स्थिति को संभाल लिया। ये कॉकरोच नहीं था, बल्कि उन लोगों की परिस्थितियों को संभालने की अक्षमता थी, जिसने उन महिलाओं को परेशान किया।

हमें अपने जीवन में कठिन समय में प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसे समझकर उसका जवाब देना चाहिए। प्रतिक्रिया हम बिना सोचे समझे दे देते हैं, जबकि जवाब हम सहज तरीके से सोच-समझ कर देते हैं। जो लोग खुश हैं वो इसलिए खुश नही हैं कि उनके जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा है, बल्कि इसलिए खुश हैं कि उनका जीवन में सारी चीजों के प्रति दृष्टिकोण ठीक है। इसीलिए जिंदगी में गुस्सा, जलन, जल्दबाजी और चिंता करने की बजाय प्यार करें और सब्र रखें।

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