- गेम्स और पजल खेल कर रहे मानसिक बीमारियों से दूर

- दोस्तों के साथ पार्क में एक्सरसाइज से रहेंगे मेंटली और फिजिकली फिट

- केजीएमयू के जिरियाट्रिक मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट का स्थापना दिवस

LUCKNOW: वृद्धावस्था में डिमेंशिया व अन्य मानसिक समस्याओं से बचना है तो 30 से 40 की उम्र से ही बुढ़ापे के लिए तैयारी शुरू कर दें। इसी उम्र से ही अपने दिमाग को एक्टिव रखें और बुढ़ापे में होने वाली समस्याओं के लिए सेविंग भी करें। ताकि जरूरत के समय दूसरों की तरफ न देखना पड़े। इससे मानसिक रोगों का असर भी कम रहेगा। यह जानकारी शनिवार को केजीएमयू जिरियाट्रिक मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट स्थापना दिवस के अवसर पर डॉ। निमेष जी देसाई ने दी।

बुढ़ापे के लिए पैसा बचाना जरूरी

कार्यक्रम में चीफ गेस्ट दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज के निदेशक प्रो। निमेष जी देसाई ने सामाजिक आर्थिक एवं मानसिक स्वास्थ्य विषय बोलते हुए बताया कि बुढ़ापे में कई बीमारियां एक साथ घेरती हैं, फिजिकल फिटनेस खराब होती है और डिमेंशिया जैसी मानसिक समस्याएं व्यक्ति को परेशान करती हैं। बीमारियों के इलाज के लिए पैसे चाहिए। अगर वे नहीं हैं तो अन्य बीमारियों के मानसिक समस्याएं और बढ़ेंगी। इसलिए 30-40 वर्ष की उम्र से ही अपने बुढ़ापे के लिए पैसा बचाना शुरू कर दें।

सोशल नेटवर्क बड़ा होना चाहिए

दिमाग को सक्रिय रखने के लिए गेम्स खेलें, पजल खेलें। दोस्तों के साथ मिल जुल कर रहें। आपका सोशल नेटवर्क बड़ा होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलेंगे तो मन की बात शेयर कर सकेंगे और मानसिक दिक्कतें कम होंगी। अन्यथा बुढ़ापे में ओल्ड एज होम में ही पड़े रहेंगे। उन्होंने बताया कि पार्को में चलने वाले ग्रुप और व्यायाम बहुत फायदे मंद हैं।

60 साल में ही घेर लेती हैं बीमारियां

डॉ। निमेष ने बताया कि 70 प्रतिशत लोग 60 वर्ष की आयु आते-आते बीमार रहने लगते हैं। घुटनों में दर्द से लेकर कम सुनाई देना, आंखों की रोशनी कम होना और कमजोर याद्दाश्त का शिकार हो जाते हैं। इन सारी परेशानियों से बचने के लिए साठ वर्ष की आयु इलाज व दवाइयां तो ली जा सकती हैं लेकिन उनसे बचा नहीं जा सकता। 30-40 की उम्र से की गई प्लानिंग इन समस्याओं से बचाती है।

तकनीक का सहारा लें

डॉ। देसाई ने बताया कि बुढ़ापे की समस्याओं के बढ़ते हुए व्यक्ति भी डिप्रेशन का शिकार होता है और परिवार वाले भी बीमारियों को इग्नोर करते हैं। जबकि सुनना कम होने पर समस्या को ठीक करने के लिए इलेक्ट्रानिक डिवाइस हैं। आंखों की रोशनी के लिए चश्मा है, अन्य बीमारियों के लिए भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस हैं। इनका सहारा लें और अच्छी जिंदगी जिएं। परिवार के लोगों को चाहिए कि वे अपने लोगों को प्रोत्सहित करते रहें ताकि बढ़ती उम्र में भी अधिक से अधिक सक्रिय रहे।

नौ प्रतिशत से ज्यादा लोग वृद्ध

केजीएमयू के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो। एससी तिवारी ने बताया कि कुल जनसंख्या के नौ प्रतिशत लोग वृद्ध हैं। इसमें से 20 प्रतिशत किसी न किसी रोग से पीडि़त हैं और उन्हें इलाज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को बहुत ही देखभाल की आवश्यकता है। घरवालों व उनके रिश्तेदारों को चाहिए कि वह वृद्धजनों का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने विभाग में 'सेन्टर फॉर एडवान्स रिसर्च, ट्रेनिंग एण्ड सर्विसेज (का‌र्ट्स) इन एजिंग एण्ड जीरियाट्रिक मेंटल हेल्थ' के बारे में बताते हुए कहा कि अब तक 45 वर्ष एवं उससे ऊपर के 746 वृद्धजनों की पहचान, पंजीकरण एवं उनका अध्ययन पूर्ण कर लिया गया है। विभाग में जल्द ही स्वास्थ्य कर्मियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होगा। इस अवसर पर डीन मेडिसिन प्रो। मस्तान सिंह द्वारा विभाग की स्मारिका वृद्धोत्थान का विमोचन किया गया।

कर्मचारियों को मिला सम्मान

कार्यक्रम में फैकल्टी ऑफ डेन्टल सांइसेज के डीन प्रो। एपी टिक्कू ने वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के उत्कृष्ठ कर्मियों को सम्मानित किया। इससे पहले वीसी प्रो। रविकांत ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रो। आरके गर्ग, प्रो। एससी तिवारी, प्रो। आरके सरन सहित अन्य लोग मौजूद रहे।