प्रोफेसर के घर सब्जी पहुंचाना भी था परमात्मा का काम

-फ्रेंड्स से शेयर की थी शोषण की कहानी, डिग्री के चलते रहा खामोश

आईआईआईटी के रिसर्च स्कॉलर रहे परमात्मा यादव के फांसी लगाने के पीछे की वजहें अब सामने आने लगी हैं। परमात्मा के दोस्तों के साथ उसके भाई ने गुरुवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बात की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि प्रो। अनुपम न सिर्फ परमात्मा से घर के काम करवाते थे बल्कि उनके घर का पूरा सामान लाने का जिम्मा भी उसी पर था। सब्जी लाने से लेकर घर के फ्यूज बल्ब तक बदलने का जिम्मा भी उसी पर था। चालाक दिमाग प्रोफेसर अन्य छात्रों से कुछ न कुछ लिखवाकर साइन करा लेता था। ताकि उसके ऊपर कोई आंच न आए। छात्रों के अनुसार उसने परमात्मा से यह लिखवा लिया था कि वह अपनी इच्छा से कैंपस में आ जा रहा है।

नौ माह में विधवा हो गई ऋतु

परमात्मा की शादी पिछले साल दिसंबर में गोरखपुर की ही रहने वाली ऋतु से हुई थी। परिवार की रजामंदी से शादी के बाद परमात्मा उसे इलाहाबाद भी ले आया था। मां को भी उसने अपने साथ रखा था। नौ महीने के भीतर विधवा हो चुकी ऋतु को इस घटना से इतना गहरा झटका लगा है कि वह कुछ बोलने में असमर्थ है। उसे संभालना परिवार के लिए मुश्किल हो गया है।

बताया पूरा घटनाक्रम

27 अगस्त की रात आठ बजे परमात्मा ने भाई अवनीश को फोन करके बताया कि उसका आईआईटी कानपुर में प्रोजेक्ट एसोसिएट के पद पर सेलेक्शन हो चुका है

रात ढाई बजे तक परमात्मा अपने कमरे में जागता रहा।

पत्नी ऋतु ने पूछा तो कहा कि सोमवार को संस्थान में उसे कुछ काम है। वही निपटा रहा है।

28 अगस्त की सुबह जल्दी ही वह उठ गयी। आवाज लगाई तो परमात्मा ने कोई रिस्पांस नहीं दिया।

खोजने के लिये छत पर गई तो देखा कि पति आंगननुमा गैलरी में फांसी पर लटक रहे हैं

जब तक उन्हें उतारा जाता, उसकी जीभ बाहर आ चुकी थी।

घटना के समय मां मालती देवी मार्निग वॉक पर गई थीं।

उसे लेकर अस्पताल गये तो डॉक्टर्स ने बताया कि वह मर चुका है

प्रोफेसर पर लगाई आरोपों की झड़ी

2015 में पीएचडी के लिये शार्ट लिस्टेड हुआ था परमात्मा।

भाई के अनुसार प्रो। अनुपम ने फाइनली नहीं होने दिया उसका चयन

उसके स्थान पर अपनी परिचित लड़की को प्रोफेसर ने दी वरीयता

प्रो। अनुपम परमात्मा को लालच देता रहा कि वह आगे उसका चयन पीएचडी में करवायेगा।

उसकी मार्कशीट भी जबरन रोककर रखी थी प्रोफेसर ने।

नो ड्यूज की प्रक्रिया परमात्मा ने की थी। उस पर प्रोफेसर का ही साइन पेंडिंग था

उसका स्टाईपेंड (25 हजार रुपया) भी बंद करवा दिया गया था

मुंह खोलने पर उसे प्रोजेक्ट से बाहर करने की नोटिस भी थमा दी गई।

मार्कशीट न रुका सेलेक्शन

आईआईटी कानपुर में प्रोजेक्ट एसोसिएट।

एमएनएनआईटी इलाहाबाद में टेक्निकल असिस्टेंट।

आईआईटी झारखंड में।

आईआईटी पटना में पीएचडी में।

एनआईटी गोवा में।

आईआईटी चंडीगढ़

परमात्मा का फैमिली बैकग्राउंड

ज्ञानकुंज कालोनी में रहने वाला परमात्मा मध्यमवर्गीय परिवार से बिलांग करता था।

उसके पिता वीरेन्द्र यादव की कैंसर से मौत हो चुकी है।

परमात्मा की शादी 01 दिसम्बर 2016 को ही हुई थी।

प्रोफेसर ने उस पर इतना दबाव बनाया कि वह अपनी ही शादी के दिन दोपहर में पहुंचा और पांच दिसम्बर की सुबह संस्थान लौट आया

परमात्मा गांव में कॉलेज खोलना चाहता था.उसी के कहने पर अवनीश भी एमबीए कर रहे थे।

बड़ा सवाल

ट्रिपलआईटी एडमिनिस्ट्रेशन ने घटना के चार दिन बाद भी उसके परिजनो से सम्पर्क क्यों नहीं किया?

जब अनुपम अग्रवाल छुट्टी पर चले गये हैं तो जांच कमेटी अपनी कार्रवाई कैसे पूरी करेगी?

जब परमात्मा की सेवा 10 जून को समाप्त कर दी गई तो वह ट्रिपलआईटी में किस आधार पर आ जा रहा था?

परमात्मा की जेब तक उसके विभाग में स्थित केबिन की चाबी कैसे पहुंची

जुलाई 2014 से कार्यरत परमात्मा के घर सांत्वना तक देने क्यों नहीं गए प्रो। अनुपम