- 26वें अंर्तराष्ट्रीय हिन्दी उर्दू साहित्य सम्मेलन में नाटक 'नमस्ते' का मंचन

- हास्य व्यंग से रिश्ते की कडि़यों को दिया गया गंभीर संदेश

LUCKNOW: संत गाडगे प्रेक्षागृह में संडे को के.के.रैना निर्देशित टाम डुड्जीक के विख्यात कामेडी नाटक 'ग्रीटिंग्स' पर आधारित नाटक 'नमस्ते' का मंचन किया गया। नाटक का सारा था कि दो पीढि़यों के बीच 'नमस्ते' से ज्यादा आपसी संवाद की जरूरत है। तभी नई पीढ़ी और गुजरे जमाना नजदीक आ सकता है।

आपसी संवाद से सुधर सकते है रिश्ते

नाटक में अमेरिका में रह रहा युवक मोहन लिव इन रिलेशन में साथ रह रही अपनी गर्लफ्रेंड परकी को नया नाम कृष्णा देकर उसके साथ माता-पिता से मिलने जन्माष्टमी के पर अपने देश भारत आता है। नाटक की शुरुआत उस दृश्य से होती है जहां मोहन परकी को अपने माता-पिता की सोच के अनुकूल भारतीयता का अंतिम पाठ समझा और रटा रहा है। आधुनिक अमेरिकी तौर-तरीकों में पली-बढ़ी परकी भारतीय परम्पराओं व मूल्यों दोनों को स्वीकारने में दिक्कत महसूस करती है। यहीं से नाटक में द्वन्द्व शुरू हो जाता है और चुटीले संवादों से सजे नाटक में मोहन का घर रगड़ों-झगड़ों का अड्डा बन जाता है। नाटक हास्य संवाद के चलते से दर्शकों को जमकर हंसाता है।

व्यंग के साथ दिया गंभीर संदेश

नाटक में सोहन का इंट्री नए दौर में सिमटती परम्पराओं और पीढि़यों के अंतर व सोच को उजागर करती है। गंभीर संदेश देते हुए नाटक नमस्ते जहां पीढि़यों में संवाद के महत्व को सामने रखता है वहीं, यह भी साफ करता है कि सांस्कृतिक और पारम्परिक मूल्य किसी पर थोपे नहीं जा सकते।

इला अरुण का रोल असरदार

हास्य में रेखांकित करने वाले इस नाटक की स्टार कास्ट में इला अरुण व के.के.रैना के साथ ही लखनऊ की अदिति शर्मा, अभिषेक पाण्डेय, आशीष चावला व अर्जुन मरवाल ने अभिनय किया। इला अरुण के हिन्दी आलेख व संवादों से सजे इस नाटक में ड्रेसअप और पा‌र्श्व संगीत भी इला अरूण का था। स्टेज व लाइटिंग का संचालन सलीम अख्तर का रहा। नाटक में विक्रांत मिश्र, अर्जुन मारवाल व अरुण बाजपेयी का अहम भूमिका रही।