- कन्नौज हादसे के बाद भी नहीं जागा प्रशासन
- एक या दो को परमिट, दर्जनों बसें भर रहीं फर्राटा
- हादसा हो जाने पर पैसेंजर्स को नहीं मिलेगा क्लेम
GORAKHPUR: अभी हाल ही में कन्नौज बस हादसे में कई जिंदगियां एक साथ खत्म हो गईं। दो गाडि़यों की टक्कर में प्राइवेट स्लीपर बस में इतनी भीषण आग लगी कि उसमें बैठे पैसेंजर्स जिंदा जलकर खाक हो गए। बस की जांच में पता चला कि इसमें इमरजेंसी दरवाजा ही नहीं था। इसलिए पैसेंजर्स बस में ही फंसकर रह गए। इतना सबकुछ होने के बाद भी गोरखपुर के जिम्मेदार खामोश हैं। जिसका फायदा उठाते हुए यहां से दर्जनों प्राइवेट स्लीपर बसें मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए बड़े आराम से जयपुर, आगरा, दिल्ली तक फर्राटा भर रही हैं। सबसे बड़ी बात ये भी है कि इन बसों में ग्लास तोड़ने के लिए हथौड़ा भी मौजूद नहीं रहता। इमरजेंसी में पैसेंजर्स हथौड़े के अभाव में इसी में फंसकर रह जाएंगे।
आरटीओ से रिपोर्टर की बातचीत
रिपोर्टर - गोरखपुर आरटीओ से कितनी स्लीपर बसों को परमिट दिया गया है?
आरटीओ इन्फोर्समेंट - इस समय आरटीओ से एक या दो बसों को ऑल इंडिया का परमिट जारी किया गया है।
रिपोर्टर - ये बसें पैसेंजर्स लेकर चल सकती हैं?
आरटीओ इन्फोर्समेंट- नहीं चल सकतीं। ये बसें केवल टूर के लिए बुक की जा सकती हैं।
रिपोर्टर - कभी स्लीपर बस की चेकिंग की?
आरटीओ इन्फोर्समेंट- आए दिन अभियान चलाकर चेकिंग की जाती है।
रिपोर्टर - क्या ये बसें सभी मानक का पालन करती हैं?
आरटीओ इन्फोर्समेंट - इमरजेंसी डोर ना होने की कंप्लेन आई है। इसकी जांच की जाएगी।
रिपोर्टर - नौसड़ या अन्य जगह से जो स्लीपर बसें पैसेंजर्स बैठा रही हैं क्या ये वैध हैं?
आरटीओ इन्फोर्समेंट - ये बसें पैसेंजर्स नहीं बैठा सकतीं। ये बिना अनुमति के चल रही हैं। ये अवैध हैं।
रिपोर्टर - क्या ये बसें ऑनलाइन टिकट बुक कर सकती हैं?
आरटीओ इन्फोर्समेंट - नहीं ये ऑनलाइन टिकट नहीं बुक कर सकते।
स्लीपर बस का मानक
नियमानुसार बस की लंबाई 12 मीटर तक होती है। इसे 38 सीटों में पास होना चाहिए। इन बसों को लंबे टूर के लिए बुक किया जाता है। बस में ग्लास तोड़ने वाला एक या दो हथौड़ा रखना अनिवार्य है।
तो नहीं मिलेगा इंश्योरेंस क्लेम
अगर ये बसें हादसे का शिकार हो जाएं तो पैसेंजर्स को इंश्योरेंस क्लेम तक नहीं मिलेगा। क्योंकि अधिकतर बसें बिना फिटनेस और रजिस्ट्रेशन के सड़कों पर दौड़ रही हैं।
नहीं है शीशा फोड़ने के लिए हथौड़ा
एसी बसों में इमरजेंसी दरवाजा ना होने की स्थिति में हथौड़ा जरूर रखना होता है। ताकि इमरजेंसी में पैसेंजर्स इसका यूज कर पीछे का शीशा तोड़ सकें।
वर्जन
बसों में इमरजेंसी दरवाजा ना होने की कंप्लेन मिली है। आरटीओ टीम को चेकिंग में लगाया जाएगा। ऐसी बसों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- डीडी मिश्रा, आरटीओ इन्फोर्समेंट