- डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी व दो चिल्ड्रन सोसायटीज ने किया सिटी में सर्वे

- मलिन बस्तियों की युवतियां दूध और टिफिन सर्विस वालों के जरिये सप्लाई करती हैं नशा

- ग‌र्ल्स होस्टल में पहुंचता है नशा, महिला वार्डन्स की भी संलिप्तता आई सामने

देहरादून।

दून की शिक्षण संस्थाओं और हॉस्टल्स में नशा पहुंचाने में महिलाओं की भूमिका सामने आई है। डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी (डीएलएसए) द्वारा दो चिल्ड्रन सोसायटीज के साथ शहरभर में जब नशा तस्करी को लेकर सर्वे किया तो ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दरअसल यूपी के सहारनपुर व बरेली से स्मैक, चरस दून की मलिन बस्तियों में सक्रिय लोकल ड्रग पैडलर्स तक पहुंच रही है, यहां से इन विष कन्याओं के जरिये ये जहर शिक्षण संस्थान व हॉस्टल्स तक सप्लाई किया जाता है, इसमें हॉस्टल वार्डन्स की भी मिलीभगत सामने आई है। अब नशा तस्करों के खिलाफ एक्शन को लेकर डीएलएसए स्ट्रेैटजी बना रहा है।

ऐसे जुड़ती हैं नशा तस्करी की कडि़यां

दून में नशा खासतौर से स्मैक और चरस की सप्लाई यूपी के बरेली और सहारनपुर से पहुंचाई जाती है। वहां के ड्रग माफिया दून के ड्रग पैडलर्स तक नशे की खेप ट्रांसफर करते हैं। दून की मलिन बस्तियों में ड्रग पैडलर्स ने ठिकाना बना रखा है। खासतौर से ंिबंदाल बस्ती। बिंदाल बस्ती में कई बार नशा तस्करी के मामले सामने आए हैं। लेकिन, पुलिस इस पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुई है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने भी कुछ समय पहले बिंदाल बस्ती में छापा मार महिला ड्रग पैडलर को पकड़ा था। इस बस्ती में महिलाओं के साथ-साथ बच्चे भी ड्रग पैडलिंग करते देखे गये। इन बस्तियों तक नशे की खेप पहुंचने के बाद खासतौर से महिलाएं दूध व टिफिन सर्विस वालों के जरिये शिक्षण संस्थानों और हॉल्टल्स कर नशे की पुडि़या पहुंचा रही हैं। हॉस्टल के वार्डन्स की भी इसमें मिलीभगत सामने आई है।

100 पैरा लीगल वॉलिंटियर्स ने किया सर्वे

डीएलएसए के 100 पैरा लीगल वॉलिंटियर्स ने नशा तस्करी को लेकर सिटी की कई बस्तियों का सर्वे किया। खासतौर से स्लम्स में नशा तस्करी की कड़ी पड़ताल की गई तो पता चला नशा तस्करों ने इन्हीं बस्तियों को ठिकाना बना रखा है। नशा तस्करी के ज्यादातर मामले यहीं से जुड़े मिले। इन बस्तियों में यूपी से नशे की खेप पहुंचने का खुलासा भी हुआ।

वॉलिंटियर्स पर पत्थरबाजी

सर्वे के दौरान जब वॉलिंटियर्स ने बिंदाल बस्ती में फोटोग्राफी करने की कोशिश की तो यहां महिलाओं ने उनपर पत्थरबाजी कर दी। वालिंटियर्स जैसे-तैसे जान बचाकर भागे। यही नहीं राजपुर रोड पर नशा बेचते समय भी वीडियोग्राफी की तो महिलाओं ने हंगामा कर तुरंत वीडियो डिलीट करवा दी। जाहिर है नशा तस्करी की कडि़यां काफी मजबूत हैं और महिलाओं की आड़ में तस्कर अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे हैं।

जनप्रतिनिधियों के भी नाम

सर्वे में ये भी खुलासा हुआ कि क्षेत्रीय पार्षद हो या पुलिस वाले नशा तस्करों को सभी की शह मिल रही है। कई जगहों पर तो लोगों ने खुले तौर पर इनके नाम लिए गए। वहीं नशा बेचने वालों में महिलाओं और लड़कियों की संख्या अधिक है। यहां तक कि बस्तियों में सीसीटीवी कैमरे लगाकर ये काम किया जा रहा है।

नहीं पकड़े जाते एक्यूज्ड

वहीं इस मामले में डीएलएसए के पदाधिकारियों का कहना है कि अक्सर कोर्ट के सामने ऐसे मामले आते हैं। जिनमें छोटी बच्चियों को इस कदर नशा कर उनके साथ दुष्कर्म किया जाता है कि उनको ये तक नहीं पता होता कि उनके साथ किसने दुष्कर्म किया है। जिसे एक गंभीर विषय मानते हुए इस तरह के सर्वे कराए गए।

कार्रवाई के लिए रणनीति

अब डीएलएसएस सहित प्रशासन, पुलिस, एनजीओ सभी मिलकर इस दिशा में कार्रवाई के लिए रणनीति तय कर रहे हैं। इसमें नशा रोकने के साथ ही रिहेबिलिटेशन के लिए भी काम किया जाएगा।

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डीएलएसए की ओर से ये सर्वे कराया गया। जिसमें ड्रग पैडलर्स का खुलासा हुआ। साथ ही यूपी से नशा मलिन बस्तियों में आने की बात भी सामने आई।

- नेहा कुशवाहा, सचिव, डीएलएसए

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डीएलएसए के साथ मिलकर ये सर्वे किया गया। मलिन बस्तियों में पत्थरबाजी तक सहनी पड़ी। वहां नशे के काम को रोकना आसान नहीं है।

-जहांगीर आलम, अध्यक्ष, मदर्स एंजल चिल्ड्रन सोसायटी, मैक

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डीएलएसएस के साथ मिलकर सर्वे किया गया। मलिन बस्ती ही नशे की पूरी जड़ है। हर जगह नशे का कारोबार इन बस्तियों में ही फल-फूल रहा है।

- सुरेश उनियाल, राज्य समन्वयक, बचपन बचाओ

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यहां-यहां सर्वे

बिंदालपुल, राजपुर सपेरा बस्ती, मोथरोवाला सपेरा बस्ती, रायपुर, रिस्पना बस्ती, प्रेमनगर नदी के पास आदि