- गोरखपुर में लगातार संचालित हो रहे हैं अवैध हॉस्पिटल

- पिछले दो माह में एक दर्जन से ज्यादा हॉस्पिटल सील

- मरीजों का इलाज करने में लगे हुए हैं झोलाछाप

केस 1

सीएमओ के निर्देश पर 13 दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने तीन हॉस्पिटल्स का औचक निरीक्षण किया। मोगलहा स्थित एमकेसी सेवा संस्थान एवं शिया मैटर्निटी सेंटर मोगलाहा, हरमैन हॉस्पिटल झुंगिया बाजार और प्रियांशु हॉस्पिटल बांसस्थान रोड भटहट पर टीम पहुंची। तीन हॉस्पिटल के संचालक रजिस्ट्रेशन से जुड़ा कोई भी दस्तावेज नहीं पेश कर सके। वहीं जांच के दौरान न तो कोई डॉक्टर मिला और न ही कोई ट्रेंड स्टाफ, इसकी वजह से तीनों ही हॉस्पिटल को सील कर दिया गया।

केस 2

28 नवंबर को डीएम के निर्देश पर फर्जी हॉस्पिटल और क्लीनिक के खिलाफ अभियान चला। इस दौरान एक क्लीनिक के साथ तीन डायग्नोस्टिक सेंटर्स को सील कर दिया गया। सहजनवां में हुई इस कार्रवाई में दुर्गा एक्स-रे एंड अल्ट्रासाउंड, श्री साई डायग्नोस्टिक सेंटर पर जहां अनट्रेंड स्टाफ अल्ट्रासाउंड करते हुए पाया गया, वहीं तेजस डायग्नोस्टिक सेंटर और प्रखर बालाजी पॉली क्लीनिक अनरजिस्टर्ड पाए गए। सभी पर कार्रवाई की गई।

केस 3

डीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गिरजा मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की। जांच में अगले हिस्से में मेडिकल स्टोर और पिछले हिस्से में क्लीनिक चलता मिला। यहां एक मरीज मिला, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं मिला। स्टाफ ने बताया कि इस क्लीनिक पर डॉ। एसके शुक्ल मरीज देखते हैं और मां विंध्यवासिनी पॉली क्लीनिक पर भी बैठते हैं। टीम वहां पहुंची तो वह क्लीनिक बंद मिला। मेडिकल स्टोर पर मौजूद कर्मचारी ने आयुर्वेद व यूनानी अधिकारी की ओर से जारी कागजात पेश किए। इस पर टीम ने डॉ। एसके शुक्ल को सभी डॉक्युमेंट्स के साथ तलब किया।

GORAKHPUR: यह तीन अलग-अलग डेट्स पर हुई कार्रवाईयां तो एग्जामपल भर हैं, जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा अनरजिस्टर्ड हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक सेंटर्स की हकीकत सामने आई है। हकीकत में इनकी तादाद कितनी है, यह खुद स्वास्थ्य विभाग भी नहीं बता सकता। जब कोई घटना होती है या शासन के निर्देश आते हैं, तो कार्रवाई का दौर चलता है और अनरजिस्टर्ड नर्सिग होम, हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक सेंटर्स के खिलाफ कार्रवाई होती है, लेकिन कुछ दिन चलने के बाद अभियान फिर बंद हो जाता है और यह मनमाने बिना किसी डिग्री और ट्रेनिंग के मरीजों की जान से खेलने लग जाते हैं।

डिग्री होल्डर्स की मिलीभगत से खेल

गोरखपुर में अल्ट्रासाउंड सेंटर और हॉस्पिटल का संचालन यूं ही नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य महकमे की जांच में यह बात सामने आई है कि कम समय में पैसा कमाने की चाहत रखने वाले डिग्री होल्डर्स इस खतरनाक बाजार का हिस्सा हैं। यह डिग्री होल्डर्स हॉस्पिटल और अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं, लेकिन यह खुद कोई काम नहीं करते और लोगों को अपना रजिस्ट्रेशन नंबर इस्तेमाल करने की इजाजत दे देते हैं। यह अनरजिस्टर्ड शातिर लोगों की जान से खेल रहे हैं, जिसकी खबर होने के बाद ही जिम्मेदार कोई कार्रवाई कर पा रहे हैं। सहजनवां में जो कार्रवाई हुई, उसमें भी रजिस्टर्ड डॉक्टर्स के नाम पर अनट्रेंड स्टाफ जांच करते हुए पाए गए।

तीन साल में दो दर्जन से ज्यादा छापेमारी

जेंडर डिटर्मिनेशन को लेकर हेल्थ महकमे के निशाने पर अल्ट्रासाउंड सेंटर्स रहते हैं। ऐसा नहीं है कि इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बल्कि एक दशक में 31 से ज्यादा अवैध सेंटर्स के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें बंद कराया गया है। सबसे ज्यादा जांच पिछले तीन साल में हुई है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने करीब 21 मशीनों के साथ कई हॉस्पिटल को सील भी किया है। इसके बाद भी न तो इन मनमानों का खेल बंद हुआ है और न ही स्वास्थ्य विभाग ही कोई उपलब्धि हासिल कर पाया है।

स्टैटिस्टिक

सिटी में रजिस्टर्ड सेंटर्स - 240

सरकारी सेंटर्स - 07

प्राइवेट सेंटर्स - 233

अल्ट्रासाउंड मशीन - 304

फिक्स मशीन - 289

पोर्टेबल मशीन - 15

कार्रवाई एक नजर

सील किए गए सेंटर्स - 40

सील की गई मशीन - 41

कोर्ट केस - 25

वर्जन

जांच के दौरान अक्सर देखा जा रहा है कि डॉक्टर अपनी डिग्री किसी अन्य व्यक्ति को देकर उनके अस्पतालों/अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन तो करा लेते हैं, लेकिन वह इन सेंटर्स पर मरीजों को नहीं देखते और न ही अल्ट्रासाउंड ही करते हैं। सहजनवा में जो दो अल्ट्रासाउंड सेंटर सील किए गए हैं, वहां भी उन डॉक्टर्स के नाम पर दूसरे व्यक्ति जांच करते हुए मिले हैं। विधिक परामर्श लेकर इन डॉक्टर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और दोष सिद्ध होने पर एमसीआई को भी इनका रजिस्ट्रेशन समाप्त करने के लिए संस्तुति की जाएगी ताकि इस कुप्रथा पर अंकुश लग सके।

- डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ