कलर लगाकर दुकानदार सब्जियों को बना रहे ताजी

चेकिंग अभियान में उतरा विभाग, कई टीमें कर रही जांच

Meerut। ताजी हरी सब्जियों के नाम पर कहीं आप भी तो बासी और खराब सब्जियां तो नहीं खा रहे हैं। जी, हांचौंकिए मत, दूध और मसालों की तरह हरी सब्जियों को भी रंग के जरिए नया-ताजा बनाकर बाजार में बेचा रहा है। ऐसे ही मिलावटखोरों को पकड़ने के लिए फूड सेफ्टी विभाग ने अभियान चलाया है। मंडियों से लेकर तमाम सब्जियों की दुकानों पर विभाग की अलग-अलग टीमें छापेमारी कर रही है। इस तरह की कार्रवाई मेरठ में पहली बार की जा रही है।

ऐसे होती है मिलावट

दरअसल, मिलावटखोर सब्जियों को बेहतर और फ्रेश लुक देकर मोटी कमाई करने के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे है। हरी मटर, तोरई, लौकी, भिंडी, परवल और कुंदरू, हरी मिर्च, पालक जैसी तमाम हरी सब्जियों में केमिकल डाई मिलाया जा रहा है। मैलाकाइट ग्रीन कलर नामक इस डाई को सब्जियों पर छिड़का जाता है। जिससे उनका लुक ताजा और रंग गहरा हो जाता है। सूखी सब्जियों को कूड़े में फेंकने के बजाय अब उन्हें एकदम हरा और चमकदार बना दिया जाता है। 10-20 रुपए के रंग से कई किलो सब्जियों को रंगा जा सकता है।

हो सकता है कैंसर

कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ। उमंग अरोड़ा बताते हैं कि आर्टिफिशियल और केमिकल इंडस्ट्रियल कलर से कैंसर होने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती है। इन रंगों में लेड और क्रोमियम जैसे हैवी मेटल होते हैं। इसके अलावा इन्हें खाने से पेट में दर्द, डायरिया, अपच, उल्टी आदि की शिकायत होती है.डॉ। मनीषा वर्मा के अनुसार प्रेग्नेंट महिला अगर इन रंगों का सेवन करती है तो होने वाले बच्चे के शारीरिक और मानसिक ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा डाइजेस्टिव फंक्शन भी खराब हो जाता है।

कैसे पहचानें

एक कॉटन का टुकड़ा लें और तरल पैराफिन में भिगो लें और हरी सब्जियों के एक छोटे से हिस्से की बाहरी हरी सतह को रगड़े। यदि कॉटन का रंग हरा हो जाता है तो सब्जी में मैलाकाइट हरे रंग के साथ मिलावट है।

बीकर में कुछ हरी मटर लें। इसमें पानी मिलाएं और अच्छे मिक्स करें। आधे घंटे तक ऐसे ही छोड़ दें। अगर पानी में रंग का सेपरेशन दिखाई दे तो समझ जाए की मटर मिलावटी है।

बरतें सावधानी

घर पर सब्जी बनाने से पहले कई बार साफ पानी में धोएं

सब्जी खरीदते हुए उनके कलर पर ध्यान दें। अगर सब्जी का हरा रंग चितकबरा लग रहा है तो उसे न खरीदें।

दुकानदार के हाथों पर जरूर ध्यान दें । अगर हाथों पर रंग लगा हुआ दिखाई दें तो सब्जियां न खरीदें।

विश्वास वाली दुकान से ही सब्जियां खरीदें।

ये हो सकती है सजा

सब्जियों में रंग की मिलावट करने का दोष सिद्ध होने के बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है। इसके तहत तीन साल की कैद और पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

इनका है कहना

हरे रंग की सब्जियों को ताजा बनाने के लिए दुकानदार केमिकल कलर का प्रयोग करते है। विभाग की ओर से 7 अगस्त तक अलग-अलग जगह टीमें जांच करेगी। सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा रहे हैं।

शिव कुमार मिश्रा, चीफ फूड सेफ्टी ऑफिसर, मेरठ।

ऑन व्हील्स होगी खाने की जांच

फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया की ओर से फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स मोबाइल वैन उपलब्ध कराई जा रही है। 5 अगस्त से 9 अगस्त तक शहर के तमाम इलाकों में लोगों का इसकी सुविधा मुहैया कराई जाएगी। चीफ फूड सेफ्टी ऑफिसर शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स मोबाइल वैन सोमवार से प्रस्तावित है। वैन के लिए शेड्यूल कराया जा रहा है। विभाग की टीमें इस दौरान लोगों को मिलावट के प्रति भी जागरूक किया जाएगा। वहीं दुकानदारों को भी अवेयर किया जाएगा।

चौराहे होंगे चिंहित

फूड विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 5 दिन के लिए वैन शहर में रहेगी। प्रत्येक दिन शहर के अलग -अलग जगहों पर इसको खड़ा किया जाएगा। इसके लिए विभाग की ओर से इसका शेड्यूल तैयार किया जा रहा है। इसके तहत लोगों को मिलावट की जांच के लिए जागरूक किया जाएगा। कार्यक्रम शेड्यूल के तहत कोई भी आमजन मौके पर किसी भी फूड आइटम की जांच करा सकेगा। इसमें दूध या दूध से बने फूड प्रॉडक्टृस, आटा, दाल, चावल, मसाले समेत सभी चीजें शामिल होंगी । इसके अलावा लोगों को खाने के रख-रखाव, हाइजीन, फूड एक्ट आदि के बारे में भी बताया जाएगा।

ये मिलेगी सुविधा

फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स मोबाइल वैन में लैब की सुविधा मुहैया होगी। इसके जरिए दो घंटे में जांच रिपोर्ट भी दी सकेगी। इसमें मिल्क एनालाइजर, हॉट एयर ओवन, हॉट प्लेट, मिक्सर ग्राइंडर, डिजिटल वेइंग स्केल, डिजिटल मल्टी पैरामीटर, हेड हेल्ड मीटर, डिजिटल रिफ्रेक्टोमीटर जैसे इक्यूपमेंट्स लगे हैं। जबकि दूध में फैट की मात्रा, मिलावट वाले स्टार्च, यूरिया, पानी में जीएच, टीडीएस, कंडक्टिविटी जैसे केमिकल्स की जांच के लिए भी अलग से व्यवस्था है।