आखिरी जुलूस में उठा शबीहे अलम और ताबूत, उमड़े लोग

दो महीने आठ दिनों तक चला मजलिस-मातम का सिलसिला थमा

<आखिरी जुलूस में उठा शबीहे अलम और ताबूत, उमड़े लोग

दो महीने आठ दिनों तक चला मजलिस-मातम का सिलसिला थमा

BAREILLYBAREILLY: इमाम हुसैन की शहादत के सिलसिले से दो महीना आठ दिनों तक चला मजलिस और मातम का सिलसिला संडे को थम गया। संडे को शहर में दो जगह से अलविदाई जुलूस निकाला गया। जुलूस में शबीहे अलम और ताबूत बरामद हुआ। लोगों ने जियारत की और इमाम हुसैन को पुरसा दिया। इस दौरान जुलूस में अलविदा हुसैन की सदाओं से फिजा गूंज उठी।

काले इमामबाड़े से उठा जुलूस

शिया समुदाय के लोगों के ग्यारहवें इमाम हसन असकरी की शहादत के सिलसिले से काले इमामबाड़े से ताबूत का जुलूस निकला। जुलूस की मजलिस इमाम-ए-जुमा शमशुल हसन ने खेताब की। मजलिस के बाद शबीहे ताबूत निकला और लोगों ने जियारत कर इमामे जमाना को पुरसा दिया। इस दौरान शहर की अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की। अंत में इमामे जुमा ने भी हजरत सकीना के हाल का नौहा पढ़ा।

अलम के जुलूस में उमड़ी भीड़

शहर के रामपुर रोड स्थित इमामबाड़ा नवाब काजिम अली खां में अलम का जुलूस निकाला गया। जुलूस की मजलिस यहां भी शमशुल हसन ने ही खेताब की। उन्होंने कर्बला के मैदान में हुए मसाएब को बयां किया तो वहां मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू आ गए। मौलाना ने इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब और बेटी जनाबे सकीना का मसाएब बयान किया।

सभी ने पढ़ा अलविदाई नौहा

मजलिस के बाद जुलूस उठा तो शहर की तमाम अंजुमनों ने बारी-बारी नौहाख्वानी और सीनाजनी की। इसके बाद सभी अंजुमन के सदस्यों ने इकट्ठा होकर जंजीरी मातम किया। मातम करते हुए लोग स्वालेहनगर स्थित करबला में गए। जहां पर जुलूस खत्म हुआ। वहीं जुलूस के अंत में अलविदाई नौहा पढ़ा गया। इसके अलावा महिलाओं ने घरों और करबला में भी अलविदाई नौहाख्वानी और सीनाजनी की।