इस्लामाबाद (पीटीआई)। पाकिस्तान को IMF के बेलआउट पैकेज के लिए अधिक इंतजार करना होगा क्योंकि दोनों पक्ष अभी भी समझौते को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत में लगे हुए हैं। दरअसल, आईएमएफ पाकिस्तान से CPEC परियोजना का विवरण मांग रहा है और इस बात की लिखित गारंटी चाह रहा है कि पाकिस्तान उसके द्वारा मिले का पैसे का उपयोग चीन का कर्ज चुकाने में नहीं करेगा। पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने इस महीने की शुरुआत में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कुछ अधिकारी जायजा लेने के लिए इस्लामाबाद का दौरा करेंगे और सभी जांच पड़ताल के बाद इस महीने के अंत तक समझौते पर हस्ताक्षर किए जायेंगे।

लिखित गारंटी मांग रहा आईएमएफ

डॉन न्यूज ने सोमवार को आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि बेलआउट पैकेज को अंतिम रूप देने में देरी हो सकती है क्योंकि आईएमएफ और पाकिस्तानी अधिकारी अभी भी समझौते के अंतिम विवरण पर गहन चर्चा में लगे हुए हैं। सूत्रों ने बताया, 'बातचीत जारी है इसलिए, आईएमएफ के अधिकारी अप्रैल नहीं, बल्कि अब मई में इस्लामाबाद का दौरा कर सकते हैं।' बेलआउट पैकेज को लेकर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले वित्त मंत्री शुक्रवार को न्यूयॉर्क गए, लेकिन उनकी टीम आगे की वार्ता के लिए वाशिंगटन में रुकी रही। उमर ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दोनों पक्ष बेलआउट पैकेज को लेकर एक समझ तक पहुंच गए हैं और एक या दो दिन में हम एक पूर्ण समझौते तक पहुंचने की उम्मीद करते हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि आईएमएफ के अधिकारी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के विवरण के साथ-साथ पाकिस्तान और चीन दोनों से लिखित गारंटी भी मांग रहे हैं कि आईएमएफ सहायता का उपयोग चीन को कर्ज चुकाने के लिए नहीं किया जाएगा।

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अमेरिकी सांसदों ने किया था विरोध

बता दें कि अमेरिका के तीन बड़े सांसदों ने ट्रंप प्रशासन से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से पाकिस्तान को मिलने वाले प्रस्तावित बहु-अरब डॉलर के 'बेलआउट पैकेज' का विरोध करने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि इन पैसों का उपयोग पाकिस्तान द्वारा चीन के लोन को चुकाने के लिए किया जा सकता है।

 

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