इस्लामाबाद (आईएएनएस)। भाजपा का रवैया मुस्लिम और पाकिस्तान विरोधी है। आगामी लोकसभा चुनावों की वजह से भारत की सरकार शांति कायम करने की दिशा में पाकिस्तान के हर प्रस्ताव को नकार रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट को दिए साक्षात्कार में यह आरोप लगाएं।

ठुकरा रहे प्रस्ताव

इमरान ने कहा, 'भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। यही वजह है कि वहां की सरकार हमारे ऑफर को ठुकरा रही है। ऐसी उम्मीद है कि चुनाव समाप्त होने के बाद भारत-पाक फिर से वार्ता के लिए तैयार होंगे।' हालांकि, इस मामले में भारत सरकार का साफ कहना है कि आतंकवाद पर लगाम लगाए बिना किसी बातचीत का अवसर नहीं है। इमरान ने 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही। उन्होंने कहा कि इस मामले को हल करना हमारे हित में भी है, क्योंकि यह आतंकवाद से जुड़ा है।'

कश्मीर अभी भी प्रमुख मुद्दा

पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा है कि भले ही सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने का फैसला किया हो, लेकिन कश्मीर अभी भी प्रमुख मुद्दा है। पाक सरकार जम्मू-कश्मीर विवाद पर बैकफुट पर नहीं आएगी। करतारपुर कॉरिडोर को खोलने का फैसला सिखों की भावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है। गौरतलब है कि जुलाई में चुनाव जीतने के बाद अपने पहले संबोधन में इमरान ने कहा था कि भारत एक कदम आगे बढ़ेगा तो हम दो कदम चलेंगे। हाल ही में पाक ने भारत को सार्क समिट में शामिल होने का न्योता दिया था। इस पर सुषमा स्वराज ने कहा था कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं हो सकते।

कठपुतली नहीं पाक

इसके बाद इमरान खान ने अमेरिका के साथ अपने रिश्तों पर बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान किसी की कठपुतली बनकर नहीं रहेगा। 1980 में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई से लेकर अभी तक आतंकवाद के खिलाफ चल रही जंग का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, 'मैं ऐसा संबंध नहीं चाहिए पाकिस्तान किसी के लिए हथियार के जैसा काम करे। उसे पैसे देकर किसी के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल किया जाए। इससे ना केवल हमारे लोगों की जान जाती है, बल्कि हमारे कबीलाई इलाके बर्बाद होते हैं और हमारी प्रतिष्ठा भी धूमिल होती है।' उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में पाक ने अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं के खिलाफ अमेरिका की मदद की, लेकिन उसे इसका नुकसान ही उठाना पड़ा। 150 अरब डॉलर (करीब 10.58 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ। हमारे यहां न तो निवेशक आते हैं और न ही खेलने के लिए कोई टीम। इमरान ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध में हम भी शामिल थे, हमारे नागरिक-सैनिक मारे गए लेकिन लादेन के खात्मे में हमारे सहयोगियों को हम पर ही भरोसा नहीं था। 

2019 चुनाव के बाद इमरान खान भारत से फिर बातचीत की करेंगे कोशिश !

International News inextlive from World News Desk