इस्लामाबाद (रॉयटर्स)। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत के साथ जारी तनाव के बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि उनका देश भारत के साथ कभी भी परमाणु या किसी भी तरह के युद्ध की पहल नहीं करेगा। इमरान ने एक बार फिर कश्मीर मसले को द्विपक्षीय वार्ता के जरिये सुलझाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई है। लेकिन, पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट कुछ और ही कहती हैं। इनके अनुसार, इमरान न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की 74वीं महासभा के दौरान 35 राष्ट्रों के नेताओं व प्रतिनिधियों के समक्ष फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाएंगे।

भारत कर रहा सुपर पॉवर की तरह व्यवहार
लाहौर में यूरोपीय देशों से आए सिखों को संबोधित करते हुए इमरान ने कहा, 'पाकिस्तान व भारत दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। दोनों के बीच तनाव बढ़ता है तो यह दुनिया के लिए खतरनाक होगा। मैं भारत को बताना चाहता हूं कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। इसमें जीतने वाला भी हारता है।' इमरान ने सिखों को मल्टीपल वीजा देने का भी भरोसा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूर्व में फोन पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए इमरान ने बताया, 'मैंने उनसे कहा कि वार्ता के जरिये हमलोग कश्मीर का मुद्दा सुलझा सकते हैं।' बातचीत को लेकर भारत की प्रतिक्रिया न मिलने पर कुंठा जाहिर करते हुए इमरान ने कहा, 'भारत सुपर पॉवर की तरह व्यवहार कर रहा है।'

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से मिलने जाएंगे इमरान

पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से जारी समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान अपने देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। उनके साथ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी मौजूद होंगे। संयुक्त राष्ट्र की महासभा के दौरान पाकिस्तानी नेता अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन आदि देशों के अलावा इस्लामिक देशों के प्रतिनिधियों व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों के साथ भी कश्मीर की स्थिति पर चर्चा करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र की महासभा के बाद इमरान सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से मिलने भी जाएंगे।

कराची एयरस्पेस बंद करने के बाद पाकिस्तान फिर अरबों के नुकसान के लिए तैयार, भारत है निशाने पर

इमरान और पीएम मोदी के बीच नहीं होगी सीधी बातचीत
महासभा के दौरान इमरान व भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ही छत के नीचे मौजूद होंगे, लेकिन दोनों के बीच सीधी बातचीत की संभावना बहुत कम ही है। इसी प्रकार कुरैशी और भारत के विदेश मंत्री एस। जयशंकर भी कई बैठकों में साथ होंगे, लेकिन उनमें सीधी बातचीत की गुंजाइश कम ही दिखती है।

International News inextlive from World News Desk