सीबीआई को 3 हफ्ते का समय
आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मनमोहन सिंह को थोड़ी राहत दी है. कोर्ट ने मनमोहन सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा है कि जब यह वह इस याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेता, तब तक ट्रायल कोर्ट में कोयला घोटाले मामले में सुनवाई नहीं होगी. इस तरह से मनमोहन सिंह अब बतौर आरोपी पेश नहीं होना होगा. सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई को भी एक नोटिस जारी किया है. जिसमें कोर्ट ने सीबीआई को जवाब देने के लिये 3 हफ्ते का समय दिया है. गौरतलब है पिछले महीने 11 तारीख को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी के तौर पर समन किया था. सीबीआई कोर्ट ने उनके समेत छह लोगों को अगली सुनवाई के दौरान 8 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था. इसके बाद मनमोहन सिंह ने 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इस समन पर रोक लगाने की अपील की थी.

अपराधों के लिए समन किया था
गौरतलब है कि सीबीआई के स्पेशल जज भरत पराशर ने 11 मार्च को आईपीसी की धाराओं 120 बी, 409 और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत छह आरोपियों को कथित अपराधों के लिए समन किया था. इनमें मनमोहन सिंह के अलावा उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारेख और तीन अन्य शामिल थे. दोषी ठहराए जाने पर आरोपियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. बताते चलें कि देश के बड़े घोटालों में गिना जाने वाला कोयला घोटाला साल 2005 का है. उस समय देश के प्रधानमंत्री मनमाहेन सिंह थे और उनके पास ही कोयला मंत्रालय का प्रभार था. इसी दौरान बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को ओडिशा के तालाबीरा में दो कोयले के ब्लॉक आवंटित किए गए थे. इससे पहले ये ब्लॉक सार्वजनिक क्षेत्र की निवेल्ली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन के पास थे.



सीबीआई को 3 हफ्ते का समय
आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मनमोहन सिंह को थोड़ी राहत दी है. कोर्ट ने मनमोहन सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा है कि जब यह वह इस याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेता, तब तक ट्रायल कोर्ट में कोयला घोटाले मामले में सुनवाई नहीं होगी. इस तरह से मनमोहन सिंह अब बतौर आरोपी पेश नहीं होना होगा. सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई को भी एक नोटिस जारी किया है. जिसमें कोर्ट ने सीबीआई को जवाब देने के लिये 3 हफ्ते का समय दिया है. गौरतलब है पिछले महीने 11 तारीख को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी के तौर पर समन किया था. सीबीआई कोर्ट ने उनके समेत छह लोगों को अगली सुनवाई के दौरान 8 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था. इसके बाद मनमोहन सिंह ने 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इस समन पर रोक लगाने की अपील की थी.


अपराधों के लिए समन किया था
गौरतलब है कि सीबीआई के स्पेशल जज भरत पराशर ने 11 मार्च को आईपीसी की धाराओं 120 बी, 409 और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत छह आरोपियों को कथित अपराधों के लिए समन किया था. इनमें मनमोहन सिंह के अलावा उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारेख और तीन अन्य शामिल थे. दोषी ठहराए जाने पर आरोपियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. बताते चलें कि देश के बड़े घोटालों में गिना जाने वाला कोयला घोटाला साल 2005 का है. उस समय देश के प्रधानमंत्री मनमाहेन सिंह थे और उनके पास ही कोयला मंत्रालय का प्रभार था. इसी दौरान बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को ओडिशा के तालाबीरा में दो कोयले के ब्लॉक आवंटित किए गए थे. इससे पहले ये ब्लॉक सार्वजनिक क्षेत्र की निवेल्ली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन के पास थे.

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