इन तमाम स्कीम पर होगा असर
अगर सरकार स्मॉल सेविंग के इंटेरेस्ट रेट में कटौती करती है तो इ बचत स्कीम में निवेश करने वाले लोगों को सबसे ज्यादा झटका लगेगा। तमाम बचत स्कीम्स जिसपर इस कदम का असर पडे़गा वो हैं-
1. पीपीएफ जिसकी ब्याज दर 8.1 प्रतिशत होगी।
2. पांच साल की NSC जिसकी ब्याज दर 8.1 प्रतिशत होगी।
3. पांचसाल की मंथली सेविंग स्कीम (MIS) जिसकी ब्याज दर 7.8 प्रतिशत होगी।
4. सुकन्या समृद्धि खाता जिसकी ब्याज दर 8.6 प्रतिशत होगी।
5. पांच साल की सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) जिसकी ब्याज दर 8.6 प्रतिशत होगी।
6. किसान विकास पत्र जिसकी ब्याज दर 7.8 प्रतिशत होगी।
7. एक साल की एफडी जिसकी ब्याज दर 7.1 प्रतिशत होगी।
8. दो साल की एफडी जिसकी ब्याज दर 7.2 प्रतिशत होगी।
9. तीन साल की एफडी जिसकी ब्याज दर 7.4 प्रतिशत होगी।
10. पांच साल की एफडी जिसकी ब्याज दर 7.9 प्रतिशत होगी।
11. पांच साल की आरडी जिसकी ब्याज दर 7.4 प्रतिशत होगी।
इन परेशानियों का सामना
वैसे कहा जा रहा है कि सरकार के लिए इंटरेस्ट रेट में कटौती करना आसान नहीं है। इसमें इनको एक नहीं बल्कि अनेक मुश्किलों आएंगी। आईए जानते हैं कि आखिर कौन से चैंलेंज्स हैं जिनका सामना सरकार को करना पड़ सकता है।
1. सेविंग हो रही कम
महंगाई के मारे पहले ही लोग सेविंग स्कीम की तरफ ज्यादा रूझान नहीं रख रहे हैं। ऐसा हम हीं बल्कि वर्ल् बैंक की एक रिपोर्ट बयां कर रही है। इसके अनुसार साल 2011 में ग्रॉस डॉमेस्टिक सेविंग रेट 32 फीसदी था जो घटकर 29 फीसदी पर आ गया है। ऐसे हालात में अगर सरकार ये कदम उठाती है तो कई समस्याएं सामने आ जाएंगी।
2. घटता कैश
साल 2011 में जब भात को क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा था तब उसने एनआरआई बॉन्ड के जरीए करीब 26 अरब डॉलर एकत्रित किए थे। इस बॉन्ड का पेमेंट इसी साल होना है। ऐसे में सरकार के लिए पॉसिब्ल ही नहीं है कि वो इंटरेस्ट रेट में कटौती करें क्योंकि ऐसा करने से सिस्टम में कैश की कमी आ सकती है।
3. महंगाई दर कम करना मुश्किल
मई की रिटेल महंगाई दर 5.76 प्रतिशत है और थोक महंगाई द 0.37 प्रतिशत है जो आबीआई के हिसाब से बहुत ज्यादा है। ऐसे में शायद ही आरबीआई क्रेडिट पॉलीसी के रेट में कटौती कर पाएं। इस स्थिति में सरकार के लिए संभव नहीं है कि वो स्मॉल सेविंग स्कीम्स के इंटरेस्ट रेट घटाएं।
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