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DEHRADUN : उत्तराखंड पुलिस की एक महिला सिपाही ने अपनी स्वस्थ बच्ची को बीमार बताकर पुलिस विभाग और मुख्यमंत्री राहत कोष से छह लाख रुपये हड़प लिये। जांच में मामला फर्जी पाया गया।पुलिस ने सिपाही को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। महिला सिपाही के खिलाफ 2017 में सीओ बजट पुलिस मुख्यालय बीएल टम्टा ने कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया था। जांच वर्तमान में सीओ डालनवाला को दी गई है। जांच में सिपाही को बच्ची के इलाज से संबंधित कागजात, बिल, बाउचर जमा करने को कहा गया। इस दौरान अपोलो अस्पताल की ओर से दिए गए अनुमानित व्यय भार की प्रति की जांच फर्जी निकली।

पुलिस मुख्यालय ने भी दी थी मदद
एसएसपी कार्यालय के प्रस्ताव के बाद पुलिस मुख्यालय ने उपचार के लिए एक लाख 25 हजार रुपये जीवन रक्षक निधि से स्वीकृत कर दिए। वर्ष 2016 में सुनीता ने अस्पताल का अनुमानित व्यय भार पत्र संलग्न करते हुए 4 लाख 90 हजार रुपये की मांग की। जिसके बाद पुलिस मुख्यालय ने उक्त धनराशि भी स्वीकृत कर दी। इसके अलावा मुख्यमंत्री की ओर से सिपाही को बच्ची के उपचार के लिए 75 हजार रुपये स्वीकृत किए गए। बाद में मामले की जांच में साफ हुआ कि महिला कांस्टेबल की बेटी बिल्कुल स्वस्थ है। कांस्टेबल के इस फर्जीवाड़े में सहायता कोष से इलाज के लिए मिलने वाली मदद के मामलों को संदेह के घेरे में ला दिया।

बच्ची के दिल में छेद बताया था
आरोपी महिला सिपाही सुनीता 2015 में देहरादून के कोतवाली थाने में तैनात थी। तब उसने अपनी बेटी के उपचार के लिए आर्थिक सहायता के तौर पर डेढ़ लाख रुपये की मांग एसएसपी कार्यालय से की थी। पत्र में सुनीता ने लिखा था कि उसकी बच्ची के दिल में छेद है। जिसका इलाज अपोलो अस्पताल में किया जाना है। इसी प्रार्थना पत्र के आधार पर एसएसपी ने सीएम सहायत कोष से कांस्टेबल को मदद दिलवाने की फाइल आगे बढ़ाई थी। करीब छह लाख 15 हजार रुपये स्वीकृत होने के बाद मुख्यालय की ओर से सुनीता से इलाज से संबंधित बिल, वाउचर उपलब्ध कराने को कहा गया। बार-बार निर्देश के बाद भी वह दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाई। इसके बाद मुख्यालय के सीओ बजट की ओर से सुनीता के खिलाफ कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया गया।

बीमारी के फर्जी दस्तावेज
महिला कांस्टेबल ने बेटी की बीमारी के फर्जी दस्तावेज पेश कर न केवल सीएम सहायता फंड वरन पुलिस मुख्यालय से भी लाखों रुपए ले लिए थे। बिल पेश न करने पर संदेह हुआ तो मामला खुल गया।

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