पाकिस्तान के तीसरे गवर्नर जनरल ग़ुलाम मोहम्मद को चौथे गवर्नर जनरल इस्कंदर मिर्ज़ा ने डंडा-डोली करके उनके घर पहुँचवा दिया और फिर अपने पद की शपथ ले ली.

इन्हीं इस्कंदर मिर्ज़ा को उन्हीं के मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर जनरल अयूब ख़ान ने पाँच अफ़सर आधी रात को भिजवा के एक टाइप किया हुआ त्यागपत्र सामने रख दिया और त्यागपत्र पर भरा पिस्तौल भी पेपरवेट के तौर पर रख दिया. और एक प्लेन स्लीपिंग सूट पहने हुए मिर्ज़ा साहब को थमा दिया कि सत्ता छोड़ दें.

अगली सुबह उन्हें तेहरान जाने वाली फ्लाइट पर यह कहकर सवार कर दिया गया कि जहाँ रहो ख़ुश रहो. और फिर एक दिन सदर अयूब ख़ान से उन्हीं के कमांडर इन चीफ़ याहया ख़ान ने ये कहकर इस्तीफ़ा मांग लिया कि सर मुझे और मुश्किल में न डालें...आपकी हमारे दिल में बहुत इज़्ज़त है...

भीगी बिल्ली

'पाकिस्तान में सुजाताओं की लाइन लगी है'

जुल्फीकार अली भुट्टो

फिर इन्हीं याहया ख़ान को बांग्लादेश के अलग होने के बाद अफ़सरों ने घेर कर गालियाँ दीं और वो भीगी बिल्ली बने सारा शासन जुल्फ़िकार अली भुट्टो के हवाले करके बग़ैर झंडे की गाड़ी में अपने भाई के घर पहुँचा दिए गए.

और फिर तीन महीने बाद भुट्टो साहब ने अपने ही बनाए हुए कमांडर इन चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल गुल हसन को एक सरकारी काम से पिंडी से लाहौर बुलवाया.

कार में भुट्टो साहब के दो वफ़ादार गुलाम मुस्तफ़ा खर और हफ़ीज़ पीरज़ादा भी सवार थे. उन्होंने लाहौर में गाड़ी जनरल गुल हसन के घर के सामने रुकवाई और टाटा करते हुए ड्राइवर से कहा, 'चल भाई.'

और फिर इन्हीं भुट्टो साहब को उन्हीं के बनाए हुए चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ जनरल ज़िया-उल-हक़ ने कहा, सर मैं बहुत मजबूर हूँ...मुझे माफ़ कर दीजिएगा...ये जो सामने हेलिकॉप्टर खड़ा है न वो आपको मरी ले जाएगा...वहाँ आपका बहुत ख़्याल रखा जाएगा....और फ़िर भुट्टो साहब के साथ जो हुआ वो तो आप जानते ही हैं...

प्रधानमंत्री से भूतपूर्व...

'पाकिस्तान में सुजाताओं की लाइन लगी है'

जनरल ज़िया-उल-हक़

और फिर इन ज़िया-उल-हक़ साहब ने अपने ही हाथ से मोहम्मद ख़ान जुनेजो को प्रधानमंत्री बनाया और जब जुनेजो साहब वाकई अपने आपको प्रधानमंत्री समझने लगे तो फिलीपींस की सरकारी यात्रा से वापसी पर प्रधानमंत्री का विमान पिंडी में उतरा और उन्हें बताया गया कि अब वो प्रधानमंत्री के साथ भूतपूर्व जोड़ लें.

कुछ इसी तरह का मिलता जुलता काम श्रीमती बेनज़ीर भुट्टो और श्रीमान नवाज़ शरीफ़ के साथ दो-दो दफ़ा हुआ. और जिसने दूसरी दफ़ा नवाज़ शरीफ़ को विदा किया उसी परवेज़ मुशर्रफ़ के साथ आसिफ़ अली जरदारी ने हाथ दिखा दिया. और मुशर्रफ साहब को दूसरी पारी ठीक तरह से शुरू करने से पहले ही गॉर्ड ऑफ़ ऑनर पेश करके राष्ट्रपति भवन से हंसते-खेलते रुख़्सत कर दिया.

जब ऐसे ऐसे दिग्गजों के साथ ये हो सकता है तो आम-साम अफ़सर लोग किस गिनती शुमार खाते में हैं....

'पाकिस्तान में सुजाताओं की लाइन लगी है'

नवाज़ शरीफ़(बाएँ) और परवेज़ मुशर्रफ़.

पिछले ही महीने पाकिस्तान में पेट्रोल अचानक गायब हो गया...पेट्रोलियम मंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने मीडिया से कहा कि वो इस स्कैंडल पर शर्मिंदा हैं. मगर हुआ क्या...नीचे के तीन अफ़सर बलि चढ़ गए...और शर्मिंदा मंत्री जी आज भी कुर्सी पर झूल रहे हैं...

तो फिर मैं सुजाता सिंह से काहे को हमदर्दी करूँ...होंगी वो बड़ी ईमानदार और अच्छी अफ़सर, पर थीं तो अफ़सर ही ना...बड़े बड़े देशों में ऐसी छोटी छोटी बातें होती ही रहती हैं....

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