कर्मचारी, व्यापारी, मिडिल क्लास सबकी यही है मांग
रियल एस्टेट बिल्डरों की मांग जीएसटी की दर कम करे सरकार
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PRAYAGRAJ: अंतरिम बजट शुक्रवार को संसद में पेश होगा। यह नरेंद्र मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट होगा। इसे लेकर व्यापारी, कर्मचारी, आम नागरिक, होलसेलर और ज्वैलर्स सभी ने उम्मीदें लगा रखी हैं। व्यापारी व मीडिल क्लास चाहता है कि आयकर में छूट की सीमा दोगुनी हो। अंतरिम बजट से क्या उम्मीदें हैं, यह जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट सभी के बीच पहुंचा।
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अंतरिम बजट से उम्मीदें
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सरकार से अच्छे बजट की उम्मीद है। इनकम टैक्स में छूट की सीमा ढाई से पांच लाख रुपये करना चाहिए। जीएसटी को और सरल बनाना चाहिए।
सतीश चंद्र केसरवानी
अध्यक्ष, गल्ला एवं तिलहन संघ
एक देश एक कर की बात कही गई थी, फिर मंडी शुल्क क्यों? जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए सीमा 40 की जगह 75 लाख रुपये होनी चाहिए।
संतोष पनामा
व्यापारी नेता
सरकार क्रीमी लेयर से उपर उठ कर छोटे व्यापारियों के बारे में सोचे और उनके अनुसार ही बजट लाए। उम्मीद करते हैं कि अंतरिम बजट में छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी।
दिलीप केसरवानी
किराना व्यापारी
एक देश एक कर की तरह सरकार एक ही लाइसेंस की व्यवस्था लागू करे। ताकि व्यापारियों को अलग-अलग ट्रेड का लाइसेंस पाने के लिए अलग-अलग खर्च न करना पड़े।
अतुल अग्रवाल
व्यापारी
जब जीएसटी काउंसिल का पोर्टल वर्क नहीं करता है तो व्यापारियों पर पेनाल्टी क्यों लगाई जाती है। लास्ट डेट से पहले रिटर्न जमा करने पर भी नोटिस भेजा जाता है, यह कैसा सिस्टम है। सरकार पहले सिस्टम को ठीक करे।
संचित अग्रवाल
व्यापारी
अपने अंतिम बजट में सरकार सोने की कीमतों में राहत लेकर आए। सोने पर आयात कर 10 फीसदी है इसे 5-6 फीसदी कम किया जाना चाहिए। सरकार को ये भी अनिवार्य कर देना चाहिए कि 2 लाख से अधिक के सोने की खरीदारी करने वालों के पास पैन कार्ड होना चाहिए।
लकी, भारतगंज
सर्राफा व्यापारी
हम इस साल बजट में टैक्स स्लैब को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 से 7 लाख रुपए किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं।
सुशील कुमार
व्यापारी
वर्तमान में मॉल्स और ऑनलाइन बिजनेस को फायदा हो रहा है इसलिए सरकार से उम्मीद है कि वे हम जैसे रिटेल व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए बजट लाए।
अरुण अग्रवाल
व्यापारी
रियल सेक्टर पर लागू होने वाले टैक्स को ज्यादा तर्कसंगत बनाया जाए और इसके साथ-साथ बजट में किफायती दर की आवास परियोजनाओं को और प्रोत्साहन दिया जाए।
राजेश कुमार गुप्ता
बिल्डर
बिल्डरों की मांग है कि निर्माणाधीन फ्लैट पर जीएसटी दर अभी 12 फीसद है इसे घटा कर पांच फीसद किया जाए। ऐसा होगा तो खरीदार उत्साहित होंगे।
निशिथ वर्मा
बिल्डर
शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेस को 3 फीसद से बढ़ाकर 4 फीसद कर दिया गया। लोगों की मांग है कि बैंक अपनी दरों को कम करे, ताकि लोगों को सस्ता लोन उपलब्ध हो सके।
अजय कुमार भारती
कर्मचारी नेता
देखना होगा कि इस बार का अंतरिम बजट महिलाओं के लिए कितना खास होगा। 2018 के आम बजट में महिला सशक्तिकरण पर भी बल दिया गया था। सरकार ऐसी योजनाओं की घोषणा करे, जो ना सिर्फ गृहिणी के लिए बल्कि कामकाजी महिलाओं के लिए भी कारगर हो।
बीना सिंह
शिक्षक
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व्यापारियों की क्या है मांग
- जीएसटी में टैक्स स्लैब अधिकतम 12 प्रतिशत से अधिक न किया जाए।
- म्यूचुअल फंड से टैक्स हटाया जाए
- ट्रेडर को फूड लाइसेंस बनवाने की बाध्यता से मुक्त किया जाए
- कम पढ़े लिखे व्यापारियों के लिए पहले की तरह टर्न ओवर टैक्स की व्यवस्था की जाए।
- जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यापारियों को दिया जाए दस लाख रुपये तक दुर्घटना बीमा कवर
- व्यापारियों को कंप्यूटर और संबंधित सामान खरीदने पर सब्सिडी दी जाए
- खुदरा व्यापार और ई-कॉमर्स के लिए राष्ट्रीय नीति बनाई जाए
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वेतन भोगी व मिडिल क्लास की उम्मीद
- मिडिल क्लास को अंतरिम बजट में बड़ी सौगात की उम्मीद है, आयकर सीमा में बढ़ोत्तरी की जाए
- मेडिकल खर्च और ट्रांसपोर्ट एलाउंस को फिर से टैक्स फ्री किया जाए
- आयकर छूट सीमा को दोगुना कर 5 लाख कर दिया जाए
- आयकर के अधिकतम स्लैब को 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद किया जाना चाहिए
- वर्ष 2018-19 के बजट में आम आदमी के लिए कई बड़ी योजनाओं की शुरुआत की गई थी, लेकिन मध्य वर्ग को और ज्यादा राहत की उम्मीद थी
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रियल एस्टेट सेक्टर को क्या चाहिए
- रियल एस्टेट सेक्टर में टैक्स कटौती की जाए
- बजट-2019 में स्टाम्प शुल्क को जीएसटी में शामिल किया जाए
- करों में सुधार, मकान खरीदने वालों की ओर से होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स कटौती की सीमा बढ़ाई जाए