नगर निगम की डोर टू डोर मुहिम में लगी एजेंसियों के पास यूजर्स रिकार्ड ही नहीं

रिकार्ड की डाटा फीडिंग भी नहीं, कम कलेक्शन के चलते सरकारी पैसे की बर्बादी

BAREILLY: नगर निगम की सबसे महंगी मुहिम डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में गड़बडि़यों की परतें खुलती जा रही हैं। 5 जोन में मुहिम चला रही निगम से जुड़ी इन 5 एजेंसियों की वर्किंग को लेकर फिर सवाल उठ रहे हैं। एजेंसियों की ओर से डोर टू डोर मुहिम के सभी यूजर्स के रिकार्ड ही नहीं बनाए गए हैं। रिकार्ड न होने के चलते वसूली अभियान में यूजर्स की ओर से चार्जेस न दिए जाने का भी रिकार्ड नहीं। ऐसे में डोर टू डोर सुविधा का फायदा उठा रहे यूजर्स से रेगुलर वसूली नहीं हो रही। जिससे वसूली का ग्राफ जहां पिछड़ा है, ऐसे में हर महीने एजेंसियों को दी जा रही रकम पर सरकारी पैसा बर्बाद हो रहा।

एजेंसियाें का खेल

डोर टू डोर मुहिम शहर के 70 में से फिलहाल 25 वार्डो में ही चल रही। शहर के 7 में से 5 जोन में चल रही इस मुहिम पर निगम प्रति वार्ड 2 लाख रुपए के मुताबिक हर महीने 50 लाख से ज्यादा खर्च कर रहा है। लेकिन कूड़ा उठाने के बदले यूजर्स चार्जेस वसूलने के मामले में एजेंसियां फिसड्डी साबित हो रही। एजेंसियों की ओर से वार्ड में हर यूजर का रिकार्ड ही नहीं बनाया। सिर्फ भुगतान करने वालों की रसीद काटी। रिकार्ड न होने से यूजर को भुगतान के लिए जवाबदेह ही नहीं बनाया जा रहा। लेकिन एजेंसियों के पास न तो यूजर चार्जेस देने वालों का रिकार्ड है। न ही उनका जो मुहिम का फायदा लेने के बावजूद फीस नहीं दे रहे।

फैक्ट एंड फीगर

-9 करोड़ का बजट नगर निगम ने जारी किया है इस मुहिम के लिए।

-1920 रुपए का भुगतान एजेंसियों को प्रति मीट्रिक टन किया जा रहा।

-25 फीसदी वसूली बमुश्किल हो रही निगम को एजेंसियों से

-1.80 करोड़ से ज्यादा की रकम अक्टूबर 2015 से फरवरी 2016 के बीच मुहिम पर खर्च किए गए।

- 42 लाख की भी वसूली न हो सकी नगर निगम को सभी जोन से।

निगम के पास डाटा नहीं

एजेंसियों की ओर से यूजर चार्जेस की मैनुअल रसीद दी जा रही। रसीद के जरिए जो मैनुअल रिकार्ड एजेंसियों ने बनाया भी है, वह भी निगम के पास डिजिटल रूप में नहीं रखा गया है। डाटा फीडिंग न होने से निगम को भी यूजर चार्जेस की सही तादाद नहीं पता। एजेंसियां जो भी आंकड़े दे वहीं रिकार्ड माना जा रहा। इन गड़बडि़यों पर एजेंसियों से करीब दो महीने पहले पूरा रिकार्ड मांगा गया। लेकिन पिछले दो महीने से एजेंसियां रिकार्ड देने से बच रही। महज 25 वार्डो में ही निगम को हर महीने करीब 30 लाख का नुकसान झेलना पड़ रहा।

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एजेंसियों की ओर से हर यूजर का ब्योरा नहीं दिया गया। इनसे सभी का रिकार्ड बनाकर मुहैया कराने को पहले ही निर्देश दिया जा चुका है। लेकिन किसी भी एजेंसी ने रिकार्ड नहीं दिया। निगम के पास हर यूजर का ऑनलाइन ब्यौरा दर्ज होना चाहिए।

- डॉ। अशोक कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी