उपभोक्ता फोरम में दिन पर दिन बढ़ रही है केसों की संख्या

आसान तरीका व जल्द निपटारा यही है फोरम की पहचान

Meerut : उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए 1985 में उपभोक्ता अधिनियम बनाया गया था. इसी के तहत मेरठ कचहरी में 26 साल पहले कंज्यूमर फोरम की स्थापना की गई थी. शुरुआत में काफी कम मामले आते थे. जैसे-जैसे लोगों को इंसाफ मिलता रहा, वैसे-वैसे फोरम में मामलों की संख्या बढ़ती रही. अब तक इस फोरम से करीब 26 लाख लोगों को इंसाफ मिल चुका है.

सदस्य सुनते हैं केस

इस फोरम में रिटायर जज समेत तीन मेंबर हैं. निर्णय सुनाने के लिए जज समेत दो मेंबरों का होना जरूरी होता है. पहले तो नि:शुल्क था, लेकिन अब फीस रख दी गई है. इसमें केस करने के तरीका भी अन्य अदालतों की तरह है.

कंज्यूमर फोरम

6000 पेंडिंग पड़े हैं मुकदमें

1100 अधिवक्ता जुड़े हुए है इस फोरम से

26 लाख लोगों को मिल चुका है इंसाफ

80 से 110 केस आते हैं रोजाना

270 रुपये है फोरम की फीस

क्या है उपभाेक्ता फोरम

जब किसी दुकान से लोग कंपनी का सामान खरीदते हैं. वह सामान वारंटी पीरियड में खराब हो जाता है. अगर उसे कंपनी वापस नहीं करती है तो लोग न्याय के लिए कंज्यूमर कोर्ट में जा सकते है. जहां से कंज्यूमर कोर्ट कंपनी के खिलाफ अपना फैसला सुनाती है. फैसला आने के बाद कंपनी के लोगों को उससे मानना पड़ता है.

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पहले लोगों को कंज्यूमर फोरम के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं था. लेकिन अब पब्लिक में जागरूकता बढ़ गई है. रोज फोरम में करीब अस्सी से सौ से ज्यादा केस आते है.

देवकी नंदन शर्मा

महामंत्री मेरठ बार एसोसिएशन

फोरम में केस डालते ही जल्द ही निर्णय होता है. अगर कंज्यूमर के पास खरीदे गए सामान का बिल हो तो तुंरत ही कोर्ट ब्याज समेत रुपये भी वापस दिला देती है.

हरिओम शर्मा, अधिवक्ता

कंज्यूमर फोरम से अब तक लाखों लोगों को फायदा हुआ है. इसमें शिकायत करने का तरीका भी आसान है. इसलिए हर कोई इसमें अपनी शिकायत आराम से कर देता है.

सुधीर पवार