- मौसम के साथ दिमाग का पारा भी हो रहा हाई

- ठंड में होते हैं कम झगड़े तो पारा बढ़ने के साथ इनक्रीज होते है केस

- ब्रेन में केमिकल डिसबैलेंस होने से कम होती है सहने की क्षमता

GORAKHPUR : मौसम और दिमाग दोनों एक जैसे हैं। जितनी तेजी से मौसम का मिजाज गर्म होता है, उतनी ही तेजी से दिमाग का पारा भी चढ़ता है। यह हम नहीं बल्कि बढ़े क्राइम और हॉस्पिटल के रिकार्ड बताते हैं। जहां जनवरी मंथ में पारा गिरने के साथ झगड़े और सुसाइट अटेंप्ट के केस काफी कम होते हैं, वहीं मौसम हॉट होते ही यह आंकड़े अचानक तेजी से बढ़ने लगते हैं। मई और जून में मारपीट और सुसाइड अटेंप्ट के मामले काफी बढ़ जाते हैं। मतलब बढ़ता टेंप्रेचर काफी खतरनाक है, जो फिजिकल के साथ मेंटल और इकोनॉमिकल तकलीफ भी देता है।

पारा के साथ बढ़ता है झगड़ा और सुसाइड अटेंप्ट

टेंप्रेचर बढ़ने के साथ लोगों में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। जिससे लोगों में सहनशीलता कम होने लगती है। इस वजह से छोटी-छोटी बात पर भी लोग झगड़े पर उतारू हो जाते है। वहीं फैमिली में नोंकझोक होने पर लोग प्रॉब्लम सॉल्व करने के बजाए सुसाइड करने की ठान लेते हैं। यही नहीं कई बार वे लोग आवेश में आकर सुसाइड अटेंप्ट भी कर लेते हैं। सरकारी हॉस्पिटल के रिकार्ड के अनुसार गोरखपुर में जहां पूरे जनवरी मंथ में म्भ् झगड़े हुए थे तो क्फ् लोगों ने सुसाइड अटेंप्ट किया था। वहीं टेंप्रेचर बढ़ने से मई मंथ में करीब क्00 से अधिक झगड़े हुए है। जिसमें ऐसे झगड़े शामिल नहीं है जो या तो पुलिस तक नहीं पहुंचे या फिर सरकारी हॉस्पिटल में इलाज नहीं कराया। वहीं करीब मई मंथ में फ्0 से अधिक लोगों ने सुसाइड अटेंप्ट की कोशिश की।

गर्मी के सीजन में बॉडी का इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस सिस्टम डिस्टर्ब हो जाता है। दिन भर निकलने वाले पसीने से बॉडी का सोडियम लॉस हो जाता है। जिसकी वजह से चिड़चिड़ापन आ जाता है। इससे वर्किग भी अफेक्टेड होने लगती है। इसके कारण झगड़े और सुसाइड अटेंप्ट के केस बढ़ जाते हैं। क्योंकि टेंप्रेचर अधिक होने से सहनशीलता कम हो जाती है। लोगों को दोपहर में कम से कम निकलने के साथ नॉर्मल टेंप्रेचर में रहना चाहिए।

डॉ। सीपी मल्ल, साइक्रिएटिस्ट

टेंप्रेचर के साथ बढ़े झगड़े और सुसाइड अटेंप्ट

मंथ - एवरेज टेंप्रेचर - झगड़े - सुसाइड अटेंप्ट

जनवरी - क्9.0 - भ्भ् - क्फ्

फरवरी - ख्भ्.भ् - म्0 - क्8

मार्च - फ्क्.7 - 7भ् - ख्फ्

अप्रैल - फ्म्.ख् - 88 - ख्8

मई - ब्0.0 - क्0फ् - फ्8