ईधन की खपत (2016म्-17)

पेट्रोल- 193345 किलोलीटर

डीजल -230626 किलोलीटर

सीएनजी- 32134736 किलो

- 2015 में प्रदूषण के चलते भारत में 25 लाख मौतें

- विश्वभर में प्रदूषण के चलते करीब 90 लाख लोगों की मौत

LUCKNOW :

राजधानी लखनऊ में पिछले कुछ वर्षो में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। कंस्ट्रक्शन, ट्रैफिक, अनियंत्रित अर्बनाइजेशन, कूड़े का सही निस्तारण न होना इसके मेन कारण हैं। शायद यही कारण है कि राजधानी लखनऊ डब्ल्यूएचओ की लिस्ट में प्रदूषण के मामले में विश्व में 9वें नंबर पर थी तो इस वर्ष यह सातवें पायदान पर पहुंच गया।

मेट्रो निर्माण कार्य भी बड़ा कारण

आईआईटीआर के एक्सप‌र्ट्स के अनुसार राजधानी में लगातार बढ़ते प्रदूषण का एक कारण मेट्रो का कंस्ट्रक्शन भी है। लगातार हो रही मिट्टी की खोदाई ओर ढुलाई के कारण हवा में प्रदूषण फैलाने वाले कण बिखर रहे हैं। इनकी रोकथाम के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए गए। मसलन धूल को उड़ने से रोकने के लिए समय पर छिड़काव नहीं किया जाता।

बदहाल ट्रैफिक सिस्टम भी जिम्मेदार

सीडीआरआई के पूर्व साइंटिस्ट प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में ट्रैफिक की समस्या लगातार बढ़ी है। अनियंत्रित ढंग से वाहनों की संख्या बढ़ी है और ट्रैफिक रेंग रहा है। इस दौरान अधिक डीजल पेट्रोल की खपत होती है जिससे निकलने वाले धुएं के कण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ा रहे हैं। 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार शहर में पेट्रोल की खपत 193345 किलोलीटर, डीजल की खपत-230626 किलोलीटर और सीएनजी की खपत 32134736 किलो रही। वर्तमान में बहुत अधिक पहुंच गई है।

अनियंत्रित विकास बना प्रमुख कारण

वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदूषण बढ़ने का एक बड़ा कारण अनियंत्रित विकास भी है। अवैध रूप से बिना प्लानिंग के ही कॉलोनियां बढ़ती गई। न निकास की व्यवस्था है न कूड़े की। पार्कों और ग्रीन लैंड के लिए जगह ही नहीं छोड़ी गई। जिसके कारण प्रदूषण का स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ा है।

हर तरफ धूल ही धूल

एक्सप‌र्ट्स के अनुसार धूल भी इस प्रदूषण का बड़ा कारक है। विभिन्न कारणों से धूल उड़ने के बाद उसके कण हवा में ही रूक जाते हैं। और यह स्मोग बनाते हैं। लखनऊ नगर निगम पहले सड़कों की मशीन से सफाई कराता था और प्रमुख मार्गो पर पानी भी छिड़कवाता था। लेकिन वर्तमान में न तो सफाई हो रही और पानी भी नहीं छिड़का जा रहा है। बीते नवंबर माह में प्रदूषण खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया था।

बढ़ रही फॉसिल फ्यूल की खपत

परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले दस वर्ष में राजधानी में दस लाख वाहनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। ये वे वाहन हैं जो राजधानी में रजिस्टर्ड है। इसके अलावा बड़ी संख्या में आस पास के जिलों के भी वाहन लखनऊ में हैं। वर्तमान में यह संख्या 20 लाख से अधिक पहुंच गई है। हर दूसरे घर में कार है। लेकिन न तो कहीं पार्किंग की व्यवस्था है।

सरकार ने लगाई थी रोक

यूपी पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कुछ माह पहले लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए वेस्ट यूपी और एनसीआर एरियाज में ईट भट्ठों, डीजल जेनरेटर, सभी निर्माण कार्यो को रोकने के आदेश दिए थे। साथ ही सभी हॉट मिक्स संयत्रों को बंद करने, वायु उत्सर्जन करने वाले उद्योगों को बंद करने, भवन निर्माण सामग्री को लाए ले जाने, खनन और उत्खनन संबंधी कार्यो को रोकने के आदेश दिए थें। साथ ही सड़कों पर जल छिड़काव करने, सड़कों की सफाई और सड़कों पर खुले में भवन निर्माण सामग्री मिलने पर उसे जब्त करने को कहा था। लेकिन ये आदेश कुछ समय तक ही सीमित रहा।

आप भी रहें सतर्क

- अपने आस पड़ोस में धूल न उड़ने दें।

- कागज, अगर बत्ती, किसी प्रकार का कचरा जलाने से बचें

- अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो बाहर निकलने से बचें

- सांस के रोगी मॉस्क पहन कर ही बाहर निकलें,

- सांस के रोगी अपने साथ दवा रखें, और दिक्कत होने पर डॉक्टर को दिखाएं।