कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। भारतीय गेंदबाज शार्दुल ठाकुर को भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में शामिल नहीं किया गया था। बुमराह, उमेश और शमी के चोटिल हो जाने के बाद ठाकुर टीम इंडिया में आए और ऐसे छाए कि, कंगारुओं की नाक में दम कर दिया। तीसरे दिन जहां ठाकुर ने अपनी बल्लेबाजी से मेजबान गेंदबाजों के पसीने छुड़ाए। वहीं चौथे दिन शार्दुल ने 4 कंगारु बल्लेबाजों को पवेलियन भेजकर उनकी पूरी टीम 294 रन पर समेट दी। अब भारत को आखिरी पारी में जीत के लिए 328 रन चाहिए, एक दिन और पूरे विकेट हाथ में है। उम्मीद है कि भारत जीत की ओर बढ़ेगा।गाबा टेस्ट के दौरान शार्दुल ठाकुर। फोटोः एपी

ठाकुर ने कंगारुओं की नाक में किया दम
टीम इंडिया को गाबा में जीत मिलती है या नहीं, यह तो वक्त बताएगा। मगर ठाकुर ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। ठाकुर ने बता दिया कि वह एक बेहतरीन ऑलराउंडर है। इस बात को उनके बचपन के कोच दिनेश लाड काफी पहले से जानते थे। वह कहते हैं कि शार्दुल एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज की तरह खेले। उनके पास सभी क्रिकेट शॉट्स थे। यह आश्चर्यजनक है कि उन्होंने वाशिंगटन सुंदर के साथ मुश्किल परिस्थितियों में निडर होकर बल्लेबाजी की और भारत को वापस गेम में लाए। मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है।गाबा टेस्ट के दौरान शार्दुल ठाकुर। फोटोः एपी

कोच के घर पर रहकर सीखा क्रिकेट
मिडडे के साथ बातचीत में लाड ने ठाकुर के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद किया। स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल [एसवीआईएस] बोरीवली में कोच रहे लाड ने ठाकुर के साथ अपनी पहली मुलाकात को ताजा किया, जब वह सिर्फ 15 साल के थे। लाड ने कहा, "मैंने शार्दुल को पहली बार देखा था जब उन्होंने हमारे स्कूल के खिलाफ खेला था। उन्होंने 78 रन बनाए और पेप्सी कप में तारापुर विद्या मंदिर बोइसर के लिए पांच विकेट लिए। मैंने तुरंत उनके पिता से कहा कि उनकी प्रतिभा को देखते हुए शार्दुल को एसवीआईएस में स्थानांतरित कर दें। वह पालघर से 11 किलोमीटर दूर रह रहा था और बोरिवली में शिफ्ट होने में संकोच कर रहा था। लेकिन मैंने उन्हें (श्री और श्रीमती ठाकुर) शार्दुल को एक साल के लिए अपने घर पर रहने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया।'गाबा टेस्ट के दौरान शार्दुल ठाकुर। फोटोः एपी

एक ओवर में जड़ चुके छह छक्के
2006 में, डॉ एस राधाकृष्णन, बोरिवली के खिलाफ हैरिस शील्ड के प्लेट डिवीजन में एसवीआईएस का प्रतिनिधित्व करते हुए, ठाकुर ने 73 गेंद में 60 रन की पारी खेली थी। इस पारी के दौरान ठाकुर ने एक ओवर में छह छक्के लगाए। इसको लेकर लाड ने कहा, "शार्दुल के पास हमेशा बल्लेबाजी करने की क्षमता थी, लेकिन पेस और स्विंग गेंदबाजी उसकी प्राथमिकता थी, इसलिए मैंने उसे गेंदबाजी पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।'

रोहित की कप्तानी में घरेलू क्रिकेट में रखा कदम
महाराष्ट्र के पालघर जिले में जन्में शार्दुल ठाकुर दाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं। उन्होंने 8 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था। पहले क्लब, फिर मुंबई की घरेलू क्रिकेट में हाथ आजमाया। साल 2012 में रोहित शर्मा की कप्तानी में ही शार्दुल ने डोमेस्टिक क्रिकेट में डेब्यू किया था। पिछले 8 सालों में ठाकुर ने कुल 62 फर्स्ट क्लॉस मैच खेले जिसमें उनके 206 विकेट दर्ज हैं। घरेलू मैचों में बेहतर प्रदर्शन का ही परिणाम है कि ठाकुर को अंतर्रराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका मिला। ठाकुर के नाम 12 वनडे में 15 विकेट और 17 टी-20 इंटरनेशनल में 23 विकेट दर्ज हैं।गाबा टेस्ट के दौरान शार्दुल ठाकुर। फोटोः एपी

ओवरवेट के कारण हुए टीम से बाहर
शार्दुल ठाकुर आज जितने फिट नजर आते हैं, पहले वह ऐसे नहीं थे। बतौर गेंदबाज अपने शरीर को काफी संतुलन में रखना होता है। मगर शार्दुल घरेलू क्रिकेट खेलते समय काफी मोटे थे। यही वजह है कि उन्हें एक बार मुंबई टीम से बाहर कर दिया गया था। ठाकुर ने फिर काफी एक्सरसाइज कर अपनी फिटनेस पर ध्यान दिया। उनसे कहा गया था कि उन्हें अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा पतला करना है ठाकुर ने वही किया और अब उनकी गेंदबाजी में गति के साथ-साथ संतुलन भी है।

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