नई दिल्ली (आईएएनएस)। न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में श्रेयस अय्यर को डेब्यू करने का मौका मिला। अस्पताल के बेड से लेकर टेस्ट डेब्यू तक श्रेयस अय्यर के लिए यह एक रोलर कोस्टर की सवारी रही है। क्रिकेटरों का चोटिल होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन चोट से उबरना और टेस्ट कैप हासिल करना किसी के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। अय्यर ने मंगलवार को इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने उन्हें बेड पर लेटा देखा जा सकता है फिर इसी क्लिप में वह भारत की टेस्ट जर्सी पहने दिख रहे।'

कंधे में चोट के चलते कराई थी सर्जरी
23 मार्च को पुणे में इंग्लैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच में अपना कंधा चोटिल करने के बाद, अय्यर को लंबे समय तक मैदान से दूर रहना पड़ा। उन्हें यूके में सर्जरी करानी पड़ी और रॉयल लंदन कप में लंकाशायर के लिए उपस्थित होने से भी इंकार कर दिया गया। वह 2021 की शुरुआत में भारत में आयोजित आईपीएल के पहले भाग में नहीं खेले। तब उनकी जगह रिषभ पंत ने दिल्ली कैपिटल्स की कमान संभाली। अय्यर रिहैबिलिटेशन के लिए गए और आईपीएल के दूसरे भाग के लिए वापस आए। आईपीएल के बाद, श्रेयस को टीम इंडिया T20I टीम के लिए चुना गया था, लेकिन वह T20 विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं बन सके।

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आखिर टेस्ट में मिल गया मौका
गुरुवार को भारत बनाम न्यूजीलैंड के बीच पहले कानपुर में खेले जा रहे पहले टेस्ट में अय्यर को प्लेइंग इलेवन में जगह मिली और वह भारत के 303वें टेस्ट क्रिकेटर बन गए। अय्यर को यह टेस्ट कैप 54 मैचों में 52.18 के औसत से 4592 प्रथम श्रेणी रन बनाने के बाद मिली है। अय्यर ने 2017 में अपना वनडे डेब्यू किया, 54 सीमित ओवरों के मैच खेले। उन्होंने ODI में 42.7 और T20I में 27.6 की औसत से 1393 रन बनाए। स्वतंत्र रूप से रन बनाने की उनकी क्षमता को देखकर माना जा रहा था कि देर-सबेर उन्हें टेस्ट टीम में शामिल किया जाएगा।

कानपुर से रहा है पुराना नाता
कानपुर से मुलाकात अय्यर के लिए नई नहीं है। 2019 में उन्होंने प्रवीण कुमार, अंकित राजपूत और पीयूष चावला जैसे गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ 75 रनों की अपनी शानदार पारी से मुंबई रणजी टीम को बचाया। अब उन्हें टेस्ट कैप उसी स्थान पर मिली, जहां उन्होंने रेड बॉल क्रिकेट के लिए अपने आगमन की घोषणा की थी। मार्च 2017 में, उन्हें धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट के लिए विराट कोहली के प्रतिस्थापन के रूप में बुलाया गया था, लेकिन वह प्लेइंग इलेवन में आने से चूक गए। अब चार साल बाद आखिरकार अय्यर को अपना सपना साकार करने का मौका मिल गया।

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