नई दिल्ली 11 अप्रैल (एएनआई): केंद्र ने रविवार को देश में कोविड -19 की स्थिति में सुधार होने तक इंजेक्शन रेमेड्सविर और रेमेडिसविर एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) के निर्यात पर रोक लगा दी। बता दें कि कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में रेमेडीसविर एक प्रमुख एंटी-वायरल दवा माना जाती है। इसके अलावा, सरकार ने रेमेडिसवियर तक अस्पतालों और मरीजों की आसान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए तीन कदम उठाए हैं।

कोरोना के इलाज के लिए सरकार के तीन कदम

पहला - रेमेडीसविर के सभी घरेलू निर्माताओं को सलाह दी गई है कि वे अपनी वेबसाइट पर दवा के अपने स्टॉकिस्टों / वितरकों का विवरण दें, ताकि दवा तक लोगों की पहुंच आसान हो।

दूसरा - ड्रग इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारियों को इन स्टॉक्‍स को सत्यापित करने और उनकी कालाबाजारी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

तीसरा - राज्य के स्वास्थ्य सचिव संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के ड्रग इंस्पेक्टरों के साथ इस व्‍यवस्‍था की समीक्षा करेंगे।

देश में हर महीने बन रही हैं 38.80 लाख यूनिट्स रेमेडिसविर

एक बयान में, केंद्र सरकार ने कहा है, "भारत में COVID के मामलों में हाल में वृद्धि देखी जा रही है। 11 अप्रैल तक, 11.08 लाख सक्रिय COVID केसेस हैं और वे लगातार बढ़ रहे हैं। इससे इंजेक्शन रेमेडिसविर की मांग में अचानक उछाल आया है। इस दवा का COVID रोगियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। ऐसे में आने वाले दिनों में इसकी मांग में और वृद्धि होने की संभावना है।" संयुक्त राज्य अमेरिका में गिलियड साइंसेज के साथ स्वैच्छिक लाइसेंसिंग समझौते के तहत कुल सात भारतीय कंपनियां इंजेक्शन रेमेडिसविर का उत्पादन कर रही हैं। इनकी कुल क्षमता प्रति माह लगभग 38.80 लाख यूनिट्स है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने इंजेक्शन रेमेड्सविर और रेमेडिसविर एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) के निर्यात पर तब तक के लिए रोक लगा दी है, जब तक कि देश में कोरोना के हालात में सुधार नहीं होता।

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