नई दिल्ली (पीटीआई)। सीबीआई ने विदेश मंत्रालय को बताया है कि भारत इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) के बिना भी भगोड़े अरबपति मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है।मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में दो अरब डॉलर से अधिक की ऋण धोखाधाड़ी में कथित मास्टरमाइंड है। हाल ही में सीबीआई ने विदेश मंत्रालय को बताया है कि  आरसीएन का उद्देश्य फरार आरोपी के ठिकाने का पता लगाना होता है। मेहुल चोकसी के मामले में  एंटीगुआ पुष्टि कर चुका है कि वह उसका नागरिक है।

एंटीगुआ उसे नागरिकता दे चुका है

ऐसे में अब इस मामले में आरसीएन की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि एंटीगुआ उसे नागरिकता दे चुका है और वह वहां पासपोर्टधारक है।यह भी बताया कि मेहुल चोकसी की अंतरिम गिरफ्तारी की मांग करते हुए एंटीगुआ के अपने समकक्ष को पत्र भी लिखा है।इस दौरान एंटीगुआई अधिकारियों की यह दलील कि केवल आरसीएन जारी कर ही मेहुल चोकसी की आवाजाही को रोका जा सकता है। कानूनी रुप से पुख्ता नहीं है क्योंकि आरोपी को ढूंढने का प्राथमिक उद्देश्य पूरा हो चुका है।

भारत में जेलों की दशा अच्छी नहीं
अधिकारियों ने यह भी कहा है कि अंतरिम गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के लिए एंटीगुआ को बेहद सक्रियता से अगला कदम उठाना है। इसके लिए आरसीएन कोई कंडीशन नहीं है। वहीं मेहुल इंटरपोल से अपील करते हुए कहा है कि आरसीएन न जारी करे। इसके साथ ही यह भी कहा है कि भारत में जेलों की दशा अच्छी नहीं है। ऐसे में उसका वहां ठहरना उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा। नीरव मोदी के कथित पार्टनर चोकसी मेहुल ने यह भी कहा कि उस पर लगे आरोपों को मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।

एंटीगुआ में निष्ठा की शपथ ली थी
ऐसे में उसे लगता है कि भारत में उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है क्योंकि वहां अदालतों में खबरों का प्रभाव हो सकता है।मेहुल चोकसी की अपील के बाद इंटरपोल ने सीबीआई से जवाब मांगा। इस दौरान सीबीआई ने उसके सारे आरोपों को गलत करार दिया है।  बता दें गीतांजलि ग्रुप का प्रवर्तक चोकसी पंजाब नेशनल बैंक का सामने आने से पहले जनवरी के पहले हफ्ते में भारत से चला गया था। मेहुल चोकसी ने 15 जनवरी, 2018 को एंटीगुआ में शपथ ग्रहण की थी।

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