क्यों मनाते हैं बकरीद और क्या  कुर्बानी का महत्व
ईद उल अजहा या बकरीद का अर्थ है कुबार्नी का त्योहार। जो सभी मुस्लिम हजरत अब्राहम की खुदा के रास्ते में दी गयी अपने बेटे की कुर्बानी को सलाम करने के लिए मनाते हैं। हालाकि कुर्बानी बकरे की दी जाती है पर बकरीद का अर्थ यहां बकरे से नहीं है। ये एक अरबी लफ्ज है जिसका मतलब है ऊंट, पर इस मौके पर ऊंट, भेड़ या बकरा किसी भी स्वास्थम जानवर की कुर्बानी देना सुन्नत के हिसाब से पवित्र माना जाता है। बीमार या विकलांग पशु की कुर्बानी कबूल नहीं होती। ये फेस्टिवल ईद उल फितर यानी मीठी ईद के 2 महीने 10 दिन बाद मनाया जाता है।

लोगों में है भरपूर उत्साह
ईद उल अजहा को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। गुरूवार को इस के लिए लोगों ने खूब खरीददारी की। सिवाईं व सूखे मेवों की दुकानों पर खरीददारों का तातां लगा हुआ था। जगह जगह पर हर शहर में बकरों की मंडी लगी हुई थी जहां लोगों ने जम कर खरीदारी की।  

राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की बधाई
इस मौके पर राष्ट्रपति  प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने गुरुवार को देशवासियों को ईद-उल-जुहा की बधाई दी। राष्ट्रपति ने बधाई संदेश में कहा, "ईद-उल-जुहा के पावन अवसर पर मैं भारत और विदेश में रह रहे मुस्लिम भाइयों व बहनों को बधाई व शुभकामनाएं देता हूं।" उन्होंने ये भी कहा कि "आईए हम इस त्योहार को जरूरतमंदों और वंचितों के साथ खुशियां व संसाधन साझा करने का एक अवसर बनाएं। मेरी कामना है कि यह त्योहार देश के सभी समुदायों और विभिन्न क्षेत्रों को एकता के सूत्र में बांधे।"
उपराष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, "मैं ईद-उल-जुहा के पावन अवसर पर देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। ईद-उल-जुहा समाज में त्याग, सहानुभूति और भाईचारे की भावना का प्रतीक है। यह त्योहार हमें अपने जीवन में सच्चाई व करुणा के मूल्यों को उतारने के लिए प्रेरित करता है।"


वही इन दिनों विदेश यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईद उल जुहा के मौके पर दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय को ट्वीट करके शुभकमनाएं दी।

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