नई दिल्ली (एएनआई)। जुलाई से सितंबर तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 4.5 प्रतिशत हो गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 7.1 प्रतिशत थी। शुक्रवार को सरकारी डेटा के जरिए इस बात की पुष्टि हुई है। पिछली तिमाही में भी अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन काफी खराब रहा और जीडीपी की वृद्धि दर 5 प्रतिशत तक गिर गई। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में मंदी का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र और कृषि उत्पादन में तेज गिरावट है। दूसरी तिमाही में जीडीपी की कमजोर विकास दर ग्रिम इंडस्ट्रियल आउटपुट डेटा के कारण भी है, जो कि तिमाही के दौरान 0.4 प्रतिशत थी।

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले मोदी सरकार की नीतियों से गिर रही देश की अर्थव्यवस्था, स्थिति चिंताजनक

पहली तिमाही में आई गिरावट पर विपक्ष ने जमकर सरकार पर साधा था निशाना

अगस्त और सितंबर में भारी बारिश के साथ-साथ खनन और निर्माण क्षेत्रों में मानसून की गतिविधियों में देरी हुई। इसने कृषि और घरेलू क्षेत्रों से बिजली की कम मांग में भी योगदान दिया। इसके अलावा, शांत औद्योगिक गतिविधि ने बिजली उत्पादन की मांग को भी कम कर दिया। वहीं, अगर चीन की बात करें तो जुलाई-सितंबर 2019 में चीन की आर्थिक वृद्धि 6 प्रतिशत थी, जो 27 वर्षों में सबसे कमजोर विस्तार था। बता दें कि पहली तिमाही में जीडीपी में आई गिरावट पर विपक्ष ने सरकार को खूब घेरा था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि चंद्रयान -2 के जरिये केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने& मोदी सरकार द्वारा चौतरफा कुप्रबंधन को मंदी का जिम्मेदार बताया था। मनमोहन सिंह ने एक बयान में कहा कि पिछली तिमाही की जीडीपी ग्रोथ 5 पर्सेंट रही है। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 0.6 प्रतिशत पर हो रही है। इससे साफ है कि हमारी अर्थव्यवस्था नोटबंदी व जीएसटी के प्रभाव से अभी बाहर नहीं निकल पा रही है। भारत में जीडीपी की बहुत तेज दर से बढ़ने की क्षमता है लेकिन चौतरफा कुप्रबंधन से ऐसे हालात हैं।

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