नोएडा (पीटीआई)। सुपरटेक ट्विन टावरों के सफल विध्वंस के साथ, भारत उन देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिन्होंने 100 मीटर से अधिक ऊंची इमारतों को तोड़ा है। दक्षिण अफ्रीकी कंपनी जेट डिमोलिशन्स के जो ब्रिंकमैन ने रविवार को मीडिया से कहा कि नोएडा सेक्टर 93ए में अवैध ट्विन टावरों को 12 सेकंड के अंदर ही वाटरफॉल इंप्लॉजन टेकनीक से धराशायी कर दिया गया। अधिकारियों के मुताबिक, सुपरटेक के एपेक्स (32 मंजिल) और सेयेन (29 मंजिल) टावरों की ऊंचाई 103 मीटर थी। मुंबई स्थित एडिफिस इंजीनियरिंग, जिसे बिल्डिंग को गिराने का काम सौंपा गया था, उसने जेट डिमोलिशन को इस प्रोजेक्ट के लिए अपना एक्सपर्ट पार्टनर चुना था।

कंपनियों का विश्व स्तर पर है बड़ा नाम

दोनों ने मिलकर पहले केरल के कोच्चि के मराडू नगर पालिका क्षेत्र में चार आवासीय परिसरों को इसी तरह से ध्वस्त कर दिया था। भारत और एडिफिस अब उन 100 मीटर क्लब में शामिल हो गए हैं, जिनके पास इतनी ऊंचाई पर इमारतें हैं, जिन्हें अब ध्वस्त कर दिया गया है। वह भी उनके इतने करीब आवासीय इमारते, योजना को बेहद चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। एडिफिस-जेट टीम को पूरा श्रेय जाता है, जिस कारण उनकी जमकर प्रशंसा हुई। जेट डिमोलिशन्स अपने काम के लिए विश्व स्तर पर एक अहम स्थान रखती है। नवंबर 2019 में, कंपनी ने जोहान्सबर्ग में 108 मीटर ऊंचे बैंक ऑफ लिस्बन की इमारत को कुछ ही सेकंडों में ध्वस्त कर दिया था, और यह भी सुनिश्चित किया था कि इसके आस पास, सात मीटर की दूरी पर मौजूद रिहायशी इमारते भी सुरक्षित थी।

सफल विध्वंस के "मास्टरमाइंड" हैं जो ब्रिंकमैन

ब्रिंकमैन ने कहा कि नोएडा ट्विन टावरों को ध्वस्त करने की पूरी प्रक्रिया में 12 सेकंड का समय लगा। उन्होंने कहा कि टीम की पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि विस्फोट के दौरान लोगों को कोई चोट न पहुंचे और आसपास की किसी भी इमारत को कोई नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में नियंत्रित तरीके से 100 मीटर से अधिक ऊंची बहुत कम इमारतों को गिराया गया है। एडिफिस इंजीनियरिंग पार्टनर उत्कर्ष मेहता ने ब्रिंकमैन को सफल विध्वंस का "मास्टरमाइंड" बताया। उन्होंने कहा कि लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर या लगभग 80,000 टन मलबा विध्वंस के बाद बचा था। एमराल्ड कोर्ट के साथ-साथ एटीएस विलेज में कई खिड़की के शीशे टूट गए थे, रविवार शाम साइट पर निरीक्षण के तुरंत बाद उन्हें नए के साथ बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

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