जेनेवा (एएनआई)। जेनेवा में चल रहे 42वें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद सत्र के दौरान आज यानी कि मंगलवार को भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर आमने सामने होंगे। दोनों देशों ने इसके लिए तैयारी पूरी कर ली है। बता दें कि दुनिया भर में अपनी बेइज्जती कराने के बाद पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को यहां जोरों से उठाने की कोशिश करेगा। पाकिस्तान की ओर से उसके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इस सत्र में कश्मीर को लेकर अपनी राग अलापेंगे। वहीं, पाकिस्तान को यहां करारा जवाब देने के लिए भारत भी पूरी तरह से तैयार है।

पाकिस्तान को मिलेगा मुहतोड़ जवाब  

इस सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय के पूर्वी क्षेत्र के सचिव विजय ठाकुर सिंह और पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया करेंगे। दोनों भारत की तरफ से पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मुहतोड़ जवाब देंगे। भारत यूएनएचआरसी में कश्मीर मुद्दे का अंतरर्राष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान के प्रयासों को विफल करने में जुटा है। भारत ने दिल्ली में कई विदेशी दूतों को कश्मीर के ताजा हालात की जानकारी दी है।

सत्र के सामने लगाए गए हैं बैनर

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के इस सत्र में भारत बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन का पोल खोलने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि जिस जगह पर इस सत्र आयोजन किया गया है, वहां सामने पाकिस्तान में बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में मानवाधिकारों के उल्लंघन को बेनकाब करने वाले पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं।

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बौखला गया है पाकिस्तान

बता दें कि 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प व जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन व जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश किया था। राज्यसभा में अनुच्छेद 370 संबंधी प्रस्ताव स्वीकार और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक पास हो गया था। इसके बाद दूसरे दिन यह लोकसभा में पेश हुआ और शाम को यहां से भी हरी झंडी मिली गई। प्रस्ताव पास होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया। वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। भारत सरकार के इसी फैसले के बाद पाकिस्तान काफी बौखला गया है। पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत हर जगह यही कह रहा है कि यह एक आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए।

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