कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। केन विलियमसन के नेतृत्व में न्यूजीलैंड भारत में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीतने की कोशिश करेगा जब वे कानपुर में पहले टेस्ट में अजिंक्य रहाणे की टीम भिड़ेंगे। रिकाॅर्ड पर नजर डालें तो न्यूजीलैंड ने कभी भी भारत में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। उन्होंने 1969 में भारत में अपना पहला टेस्ट मैच जीता, उसके बाद 1988 में एक और जीत हासिल की। लेकिन न्यूजीलैंड ने उस दिन के बाद से भारत में कोई टेस्ट नहीं जीता है। ऐसे में मौजूदा दो मैचों की टेस्ट सीरीज विलियमसन के लिए एक चुनौती होगी।

भारत का न्यूजीलैंड दौरा (2003):
दो मैचों की इस टेस्ट सीरीज में कोई भी टीम जीत नहीं सकी थी क्योंकि अहमदाबाद और मोहाली में खेले गए दोनों टेस्ट ड्रॉ रहे थे। सपाट ट्रैक पर पहले टेस्ट में राहुल द्रविड़ ने दोहरा शतक (222) बनाया और फिर दूसरी पारी में 73 रन बनाए। भारत ने कुल 500/5 का स्कोर पोस्ट करने के लिए दो दिनों से अधिक समय तक बल्लेबाजी की। न्यूजीलैंड परेशानी की स्थिति में था, लेकिन नाथन एस्टल के शतक ने दिन और मैच को बचा लिया। दूसरा टेस्ट मोहाली में खेला गया जहां की पिच पर कुछ घास थी, फिर भी, मैच ड्रा पर समाप्त हुआ। इस बार न्यूजीलैंड ने 600 से अधिक का स्कोर बनाया और मेजबान टीम पर दबाव बनाया। सौभाग्य से वीवीएस लक्ष्मण दोनों पारियों (104 और 67*) में चमके। उनका अर्धशतक ऐसे समय आया जब भारत पीछे चल रहा था। मगर भारत हार से बचने में कामयाब रहा।

भारत का न्यूजीलैंड दौरा (2010):
अगला कीवी दौरा सात साल के अंतराल के बाद आया, और 2003/04 के दौरे से केवल डेनियल विटोरी इस बार कीवी टीम में नजर आए थे। इस सीरीज में भी कांटे की टक्कर देखने को नहीं मिली। हां हरभजन सिंह के लिए यह यादगार रही जिन्होंने अपना पहला शतक लगाया था जिसमें नागपुर में केवल तीसरे टेस्ट में परिणाम निकला। सीरीज अहमदाबाद में शुरू हुई, और कीवी ने मेजबान टीम को बैकफुट पर ला दिया था। उन्होंने दूसरी पारी में भारत को 65/6 पर पहुंचा दिया था उस समय भारत की बढ़त सिर्फ 93 थी ।फिर सातवें नंबर पर हरभजन सिंह ने भारत को उस स्थिति से बाहर निकालने के लिए एक शतक लगाया। इस मैच में एक युवा 20 वर्षीय केन विलियमसन ने भी डेब्सू किया। किसी को नहीं पता था कि अगले पांच सालों में वह इतना बड़ा हो जाएगा। अगला टेस्ट मैच हैदराबाद में एक सुस्त ड्रॉ रहा, लेकिन नागपुर में भारत ने दर्शकों पर शिकंजा कस दिया। राहुल द्रविड़, जो इस समय अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर थे, उन्होंने 191 रन बनाए। बाद में, गेंदबाजों के सामूहिक प्रयास ने उन्हें एक पारी और 198 रन से जीत दिलाई।

भारत का न्यूजीलैंड दौरा (2012):
भारत दौरे के लिए यह एक रोमांचक समय था। उस समय विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और रविचंद्रन अश्विन युवा थे। पहले टेस्ट में, अश्विन मैन ऑफ द मैच थे क्योंकि उन्होंने रॉस टेलर, ब्रेंडन मैकुलम सहित NZ के टाॅप ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया था। उन्होंने मैच में 12 विकेट लिए (पहले में छह, दूसरे में छह) क्योंकि भारत द्वारा 438 के विशाल स्कोर को पोस्ट करने के बाद न्यूजीलैंड को दो बार बल्लेबाजी करने के लिए बुलाया गया। मेजबान टीम ने एक पारी और 115 रन से जीत दर्ज की। जैसे ही कारवां बेंगलुरु चला गया, किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि कीवी भारत पर दबाव बनाएंगे। लेकिन ठीक ऐसा ही हुआ। विराट कोहली के शतक के बावजूद न्यूजीलैंड 12 रन की बढ़त लेने में सफल रहा, और फिर टिम साउदी ने 261 रनों का पीछा करते हुए भारत को 166/5 पर सिमटने के लिए जबरदस्त बाॅलिंग की मगर भारत लक्ष्य हासिल करने में कामयाब रहा और क्लीन स्वीप कर दिया।

भारत का न्यूजीलैंड दौरा (2016):
साल 2016 में भारत बनाम न्यूजीलैंड के बीच तीन मैचों की सीरीज खेली गई जिसमें भारत ने कीवियां का पूरी तरह से सफाया किया। कानपुर, कोलकाता और इंदौर में न्यूजीलैंड को 3-0 से हराया। इंदौर में अंतिम टेस्ट खास था क्योंकि भारत के दो आधुनिक बल्लेबाजों ने कीवी गेंदबाजों को बल्लेबाजी मास्टरक्लास का सबक दिया। विराट कोहली (211) और अजिंक्य रहाणे (188) ने 365 रन की विशाल साझेदारी की जो एक दिन से अधिक समय तक चली। इस बीच कानपुर में पहले टेस्ट में ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने मेजबानों को खूब परेशान किया। सबसे पहले, उन्होंने पांच विकेट लिए और फिर 42 * और 50 * रन बनाए। इस तरह सीरीज के अंत में भारत ने 3-0 से कब्जा किया।

Cricket News inextlive from Cricket News Desk