इसी दौरान रांची और कटक के मैच बारिश की भेंट चढ़ गए. भारतीय टीम ने नागपुर में खेले गए पिछले मैच में ऑस्ट्रेलिया को तीन गेंद शेष रहते 6 विकेट से हराया था.

एक ऐसे मैच में जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट खोकर 350 रन बनाए हो उसमें भारत का जीतना भले ही नामुमकिन न माना जा रहा हो लेकिन शिखर धवन, रोहित शर्मा और विराट कोहली ने जिस बेदर्दी से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ो की ख़बर ली वैसा भी किसी ने नही सोचा होगा.

जीत की भविष्यवाणी

नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान जॉर्ज बेली और शेन वाटसन ने जबकि भारत की ओर से शिखर धवन और विराट कोहली ने शतक जमाए, यानि एक ही मैच में चार शतक. इस पूरी शृंखला में जिस तरह से बल्लेबाज़ों का कहर गेंदबाज़ो पर टूटा है उसे देखते हुए यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि बंगलौर में जीत का ऊंट किस टीम के पक्ष में करवट बदलेगा.

भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कुछ तो गेंदबाज़ो की ख़राब फ़ॉर्म और कुछ आलोचना के बाद आख़िरकार इस शृंखला में सभी गेंदबाज़ो को खेलने का अवसर दिया लेकिन एक भी गेंदबाज़ भरोसेमंद साबित नही हुआ.

यहाँ तक कि इस शृंखला में पहली बार पिछला मैच खेलने वाले लेग स्पिनर अमित मिश्रा तो सबसे महंगे साबित हुए और उन्होने दस ओवर में 78 रन दिए.

अब भले ही कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कह रहे हो कि 350 रन से अधिक वाले मैच में भी लगातार किसी टीम का हारना क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं है लेकिन इसकी परवाह किसे है?

मोहाली में थोडी सी मदद विकेट से मिली तो वहाँ कुछ संघर्ष गेंद और बल्ले के बीच भी दिखाई दिया वर्ना तो अभी तक बल्लेबाज़ो का बल्ला ही बोला है.

बंगलोर से भारत के लिए अच्छा समाचार यह है कि वहाँ ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ मिचेल जानसन नही खेलेंगे.

बल्लेबाज़ों का बोलबाला

फाइनल में बढ़े मनोबल के साथ ऑस्ट्रेलिया से भिड़ेगा भारत

विराट कोहली और रोहित शर्मा के ऊपर भारतीय बल्लेबाजी की दारोमदार रहेगा

टीम ऑस्ट्रेलिया ने उन्हे इंग्लैंड के ख़िलाफ होने वाली रिर्टन एशेज़ शृंखला के लिए वापस बुला लिया है. भारतीय बल्लेबाज़ों को जो थोडी-बहुत परेशानी हुई वह मिचेल जानसन ने ही पहुंचाई.

अब यह बात समझ से परे है कि केवल एक मैच पहले जानसन को वापस बुलाकर ऑस्ट्रेलिया अपनी गेंदबाज़ी को कितना मज़बूती दे देगा ?

वैसे तो भारत और ऑस्ट्रेलिया को इस शृंखला के बाद टेस्ट शृंखला खेलनी है जो एकदिवसीय क्रिकेट से बिलकुल अलग तरह की क्रिकेट है.

इसके बावजूद इतना तो तय है कि जो भी टीम बैंगलोर में टॉस जीतेगी वह बढ़े हुए मनोबल के साथ अपनी विरोधी टीम का सामना करेगी.

लिहाज़ा थोडा दबाव भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर ज़रूर होगा जबकि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान जॉर्ज बेली बेफ़िक्र होंगे क्योंकि एक तो किसी ने सोचा नही था कि यह टीम इतना शानदार खेलेगी और दूसरा वह ख़ुद बल्ले से भी कामयाब रहे है.

दोनो टीमों की बल्लेबाज़ी क्षमता को देखते हुए माना जा सकता है कि बैंगलोर में टॉस भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए और जीतने वाला कप्तान बल्लेबाज़ो के भरोसे मैदान में उतरे और पहले फ़ील्डिंग करने का फ़ैसला करे.

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