श्रीलंका के 201 रनों का पीछा करते हुए भारतीय टीम ने उतार-चढ़ाव भरे मैच में अंतिम ओवर में दो गेंदें बाक़ी रहते जीत हासिल की.

भारत के लिए लक्ष्य बहुत बड़ा नहीं था मगर एक समय 167 रनों पर आठ विकेट गिर चुके थे और वहाँ से धोनी ने संयम रखते हुए टीम को इस जीत तक पहुँचाया.

मैच का सबसे रोमांचक मौक़ा रहा अंतिम ओवर जबकि भारत को जीत के लिए 15 रनों की ज़रूरत थी और सिर्फ़ एक विकेट बचा था. क्रीज़ पर थे धोनी और इशांत शर्मा.

अंतिम ओवर

गेंद थी शमिंडा एरेंगा के हाथों में और सामने थे भारतीय कप्तान. एरेंगा ने पहली गेंद ऑफ़ साइड पर विकेट से कुछ दूर फेंकी, धोनी ने बल्ला काफ़ी ज़ोर से घुमाया मगर गेंद और बल्ले का कोई मिलन नहीं हो सका.

इस तरह अब भारत को पाँच गेंदों पर 15 रन चाहिए थे. भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों और ड्रेसिंग रूम में बैठे खिलाड़ियों के चेहरे पर तनाव साफ़ दिख रहा था.

एरेंगा ने अगली गेंद विकेट के पास डाली और इसके पहले कि वह कुछ समझ पाते धोनी ने बेहद ज़ोरदार छक्का जड़ दिया. छक्का इतना दमदार था कि गेंद बोलिंग एंड पर कमेंटेटर बॉक्स की छत तक जा पहुँची.

धोनी का आत्मविश्वास चेहरे पर साफ़ दमक रहा था और लोग अब तक सीट से खड़े हो चुके थे. भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को लग रहा था कि दो और ऐसे शॉट्स और टूर्नामेंट उनकी झोली में जबकि श्रीलंकाई क्रिकेट प्रशंसकों के हिसाब से एक विकेट और ख़िताब उनके पास.

छक्का लगने के बाद कप्तान एंजेलो मैथ्यूज़ और विकेट कीपर कुमार संगकारा ने एरेंगा से बात की, उन्हें सांत्वना भी दी.

लगा कि अगली गेंद में एरेंगा जान उड़ेलने जा रहे हैं. मगर प्वॉइंट के ऊपर से घुमाकर धोनी ने अगली गेंद पर चौका लगा दिया.

अब बची थीं तीन गेंदें और जीत के लिए चाहिए थे पाँच रन. संतोष रखने वाले भारतीय प्रशंसक यही चाह रहे थे कि बस एक चौका लग जाए तो कम से कम स्कोर तो बराबर हो फिर एक रन तो आ ही जाएगा.

मगर धोनी शायद इसमें यक़ीन नहीं रखते. एरेंगा की अगली गेंद को उन्होंने एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से सीधे बाउंड्री लाइन के बाहर पहुँचा दिया. जब तक गेंद ने सीमा रेखा पार नहीं की धोनी थोड़ा झुककर घात लगाए शेर की तरह उस गेंद को देखते रहे और जैसे ही भारत की जीत हुई उनका चेहरा मुस्कुराहट से खिल उठा.

श्रीलंकाई पारी

दूसरे छोर पर किसी तरह उनका साथ दे रहे इशांत शर्मा ने धोनी को गोद में उठा लिया और इस तरह भारत ने रोमांचक अंतिम ओवर में जीत हासिल कर ली. धोनी 45 रन बनाकर नॉट आउट रहे.

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टॉस जीतने के बाद धोनी ने श्रीलंका को पहले बल्लेबाज़ी करने के लिए कहा. संगकारा ने लहिरू तिरिमाने के साथ मिलकर 122 रनों की साझेदारी की और टीम को एक अच्छे स्कोर की ओर बढ़ाने की कोशिश की थी.

मगर एक बार जब 71 रनों के निजी स्कोर पर संगकारा आउट हुए तब 174 रनों पर चार विकेट के स्कोर से पूरी टीम अगले 27 रनों में ही निबट गई.

तिरिमाने ने 46 रन जोड़े. रवींद्र जडेजा ने चार विकेट लिए.

भारत की पारी

भारत की ओर से एक बार फिर रोहित शर्मा ने टिककर बल्लेबाज़ी और उन्होंने 58 रन जोड़े. उनके सलामी जोड़ीदार शिखर धवन पहले विकेट के रूप में आउट होकर पवेलियन लौटे थे.

धवन ने 15 रन जोड़े और वह एरेंगा का शिकार हुए. इसके बाद धोनी की अनुपस्थिति में अब तक कप्तानी सँभाल रहे विराट कोहली ने दो रन बनाए थे कि उन्हें भी एरेंगा ने आउट कर दिया.

दिनेश कार्तिक 23 रन बनाकर रंगना हेरात का शिकार बने. हेरात ने इसके बाद रोहित शर्मा को पवेलियन पहुँचाया. फिर तेज़ी से रन बनाने की कोशिश में सुरेश रैना भी 32 रनों के निजी स्कोर पर आउट हो गए.

जिस समय रैना का विकेट गिरा स्कोर था पाँच विकेट पर 145 रन. तब तक भारत के लिए जीत बेहद आसान लग रही थी.

पासा पलटा

मगर पासा अचानक पलटा. हेरात ने जडेजा को महज़ पाँच रनों के स्कोर पर एलबीडब्ल्यू आउट किया और फिर अगली ही गेंद पर रविचंद्रन अश्विन भी एलबीडब्ल्यू ही आउट हुए.

इसके बाद भुवनेश्वर कुमार के लिए लसित मलिंगा की गेंद समझना काफ़ी मुश्किल रहा और वह भी बिना खाता खोले वापस हो लिए. उस समय भारत का स्कोर आठ विकेट पर 167 रन था.

विनय कुमार ने कुछ सँभलकर खेलने की कोशिश की, हालाँकि विनय कुमार और इशांत शर्मा के दूसरे छोर पर रहते हुए धोनी ने स्ट्राइक अपने ही पास रखी और टीम को जीत के इस लक्ष्य तक पहुँचाया.

जीत के बाद धोनी ने कहा, "मेरे सौभाग्य से मेरे पास अच्छा क्रिकेट सेंस है. अंतिम ओवर में विपक्षी गेंदबाज़ उतने अनुभवी नहीं थे मलिंगा की तरह. इसलिए मैंने सोचा कि मैं चांस लेकर देखता हूँ. मैंने उस ओवर के लिए भारी बल्ला लिया और तेज़ी से रन बनाने के लिए वह बिल्कुल सही रहा."

धोनी को मैन ऑफ़ द मैच जबकि भुवनेश्वर कुमार को मैन ऑफ़ द सिरीज़ का ख़िताब दिया गया.

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