काठमांडू, नेपाल (एएनआई)लिपुलेख मुद्दे पर भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवाने की टिप्पणी का विरोध करते हुए नेपाल के रक्षा मंत्री ईशवर पोखरेल ने कहा है कि यह बयान देश के इतिहास का अपमान है और इसकी सामाजिक विशेषताओं व स्वतंत्रता की अनदेखी की गई है। नेपाल के रक्षा मंत्री ने 22 मई को एक स्थानीय अखबार के साथ इंटरव्यू के दौरान भारतीय सेना प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'इस तरह का बयान नेपाल के इतिहास, हमारी सामाजिक विशेषताओं और स्वतंत्रता की अनदेखी करके किया गया अपमानजनक टिप्पणी है। इसके साथ ही भारतीय सीओएएस ने नेपाली गोरखा सेना के जवानों की भावनाओं को भी आहत किया है जो भारत की रक्षा के लिए अपना जीवन लगा देते हैं। उनके लिए गोरखा बलों के सामने लंबा खड़ा होना मुश्किल है।'

किसी और के इशारे पर हो रहा है काम

बता दें कि काठमांडू ने लिपुलेख क्षेत्र से गुजरने वाली भारत की नव-निर्मित सड़क का विरोध किया था, जिसके बाद 15 मई को जनरल नरवाने ने सुझाव दिया था कि नेपाल में लिपुलेख से मानसरोवर तक सड़क निर्माण का मुद्दा "किसी और के इशारे पर" उठाया जा सकता है। एक विश्लेषक द्वारा आयोजित एक वेबिनार के दौरान, चीन का नाम लिए बगैर जनरल नरवाने ने पिछले शुक्रवार को कहा, 'कुछ बातों से यह पता चलता है कि नेपाल ने किसी और के इशारे पर यह मुद्दा उठाया होगा और यह काफी हद तक संभव है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित सड़क काली नदी के पश्चिम में है। इसलिए, मुझे नहीं पता कि वे वास्तव में किस बारे में आंदोलन कर रहे हैं।' भारत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि लिपुलेख दर्रे को चीन में कैलाश मानसरोवर मार्ग से जोड़ने वाली उत्तराखंड में बनी नई सड़क पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन, नेपाल ने इसका विरोध किया था और इलाके के पास सुरक्षा चौकी भी तैनात कर दी थी।

ऐसे मामलों पर सेना नहीं होती है मुखर

ईशवर पोखरेल ने कहा, 'सेना प्रमुख के लिए राजनीतिक बयान देना कितना पेशेवर है? हमारे पास यहां ऐसा कुछ नहीं है। नेपाली सेना ऐसे मामले पर मुखर नहीं होती है। सेना बोलने के लिए नहीं है। पिछले कई मौकों पर और अंतर्राष्ट्रीय संधियों व समझौतों में हुई समान बातचीत में कुछ कमियाँ रही होंगी। नेपाल के एक करीबी और मैत्रीपूर्ण राज्य के रूप में, भारत को सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिए। हम एक बातचीत में स्पष्ट शब्दों में सब कुछ सामने रखेंगे। इस तरह की बातचीत दिमाग के मामलों पर नहीं बल्कि तथ्यों और सबूतों के आधार पर की जाती है।' पिछले हफ्ते, नेपाली प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली ने भी नरवाने की टिप्पणियों का जवाब दिया था जिसमें कहा गया था कि दो पड़ोसी देशों के बीच सेना को सीमा मुद्दों पर बोलना अनुचित है।

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