रूसी हमले की दहशत का नतीजा
इराक और सीरिया में आइएस के ठिकानों पर रूस और अन्य पश्चिमी देशों की बमबारी से उसके लड़ाकों में दहशत है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छह महीने पहले आईएस के लिए लडऩे गया आजमगढ़ का युवक अब अपने परिवार को फोन कर वापस लाने की गुहार लगा रहा है। इसके बाद परिवार वालों ने सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क किया है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश से किसी युवक के सीधे आईएस में शामिल होने का यह पहला मामला है। लगभग 26 साल का यह लडक़ा सोशल मीडिया के जरिये दुबई में रहने वाले एक भारतीय के संपर्क में आया। बाद में उसकी मदद से वह तुर्की पहुंच गया और वहां से सीरिया। पिछले छह महीने से वह सीरिया से लगते इराक के इलाके में आईएस की ओर से लड़ रहा है। लेकिन पिछले दिनों जब से पश्चिमी देशों और रूस ने आईएस के ठिकानों पर बमबारी शुरू की, तो उसकी हिम्मत जवाब दे गई। अब वह बार-बार अपने परिवार वाले को फोन कर वापसी का इंतजाम करने को कह रहा है।

कोई अपराधिक इतिहास नहीं है युवक का
आजमगढ़ का यह लडक़ा 12वीं पास है और आइएस में शामिल होने सेपहले छोटा-मोटा काम करता था। उसका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर वह आईएस के लिए भर्ती करने वालों के प्रभाव में आ गया होगा। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि युवक को आईएस में भर्ती कराने वाले भारतीय की खोज की जा रही है। इसके पहले आईएस के लिए भर्ती अभियान चलाने के आरोप में यूएई सरकार हैदराबाद की महिला को वापस भारत भेज चुकी है। इसके बाद वहां से केरल के चार लडक़ों को भी वापस भेजा जा चुका है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार भारतीय मूल के कुल 20 युवा आईएस के लिए लडऩे गए थे। इनमें छह मारे जा चुके हैं और एक वापस आ चुका है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन युवाओं के बारे लगातार सूचनाएं जुटाई जा रही हैं। यदि कोई वापस आना चाहता है, तो उसकी मदद की जाएगी।

 

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