जीआईसी, मेरठ कॉलेज और सीसीएसयू में नहीं मिला संविधान

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Meerut : भारत का संविधान क्या है? उसमें क्या लिखा है? कितने पेज हैं? देखने में कैसा लगता है? गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा एक आम आदमी अगर इन सवालों का जवाब तलाशना चाहे तो उसे शायद निराशा ही मिलेगी। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जिस मेरठ में 1857 की क्रांति का आगाज हुआ, वहां पूर्ण संविधान की प्रति मौजूद नहीं है। एक कॉमन मैन की तरह आई नेक्स्ट रिपोर्टर को संविधान देखने की उत्सुकता हुई तो शहर में ढूंढने पर भी कहीं वास्तविक संविधान नहीं मिला। राजकीय पुस्तकालय हो या मेरठ कॉलेज। या फिर हो यूनिवर्सिटी, सभी जगह भारत के वास्तविक संविधान की तलाश की गई, लेकिन सिलेबस के तौर पर कुछ अंश तो मिले, लेकिन कहीं भी वास्तविक संविधान नहीं मिला।

जीआईसी पुस्तकालय

सुबह 11:30 बजे

आई नेक्स्ट की रिपोर्टर जीआईसी पुस्ताकलय पहुंची।

रिपोर्टर : सर यहां पर भारत का संविधान है। हमें उसके बारे में कुछ जानकारी लेनी है।

पुस्तकालय प्रभारी : यहां पर कई बुक्स हैं, जिनमें संविधान के बारे में कुछ जानकारी है।

रिपोर्टर : सर ये तो सारी बुक्स पतली हैं इनमें तो केवल संविधान के कुछ ही अंश है। संविधान तो बहुत बड़ा है क्या आपके पास वास्तविक संविधान नहीं है।

पुस्ताकलय प्रभारी : यही बुक्स हैं, इनमें काफी जानकारी दी हुई है। इन्हें भी बहुत कम स्टूडेंट पढ़ते हैं।

मेरठ कॉलेज

12.40 पीएम

लाइबे्ररी हेड : आप क्या यहां पर स्टूडेंट हैं। कौन सी बुक पढ़नी है आपको?

रिपोर्टर: सर क्या यहां पर भारत का संविधान पढ़ने को मिलेगा। हमें संविधान के बारे में पढ़ना हैं।

लाइब्रेरी हेड- यहां पर संविधान की बुक्स नहीं है। वो तो केवल लॉ व पॉलिटीकल साइंस डिपार्टमेंट होगी।

रिपोर्टर 12:50 पर मेरठ कॉलेज के लॉ डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी में पहुंची।

रिपोर्टर : सर क्या यहां पर हमारे देश का संविधान है। हमें संविधान के बारे में जानकारी लेनी है।

हेड : यहां पर बहुत सारी किताबें हैं, कोर्स में भी स्टूडेंट को संविधान पढ़ाया जाता है। सिलेबस के हिसाब से बहुत बुक्स हैं।

सीसीएस यूनिवर्सिटी

दोपहर 1:15 पीएम

रिपोर्टर: सर क्या यहां पर संविधान की जानकारी पढ़ने को मिलेगी।

लाइब्रेरी हेड : हां यहां पर बहुत सी बुक्स हैं आप अंदर जाकर देख लिजिए।

रिपोर्टर : यहां पर क्या हमारे देश के संविधान की जानकारी पढ़ने को मिलेंगी।

मौजूदा व्यक्ति- हां बुक्स हैं, 104 इंग्लिश में और तीन बुक्स हिंदी में हैं।

रिपोर्टर : भईया, बुक्स के तो कई पेज गायब है, क्या सही बुक नहीं है।

मौजूदा व्यक्ति : यही बुक्स हैं वैसे भी स्टूडेंट ज्यादा इंट्रस्ट नहीं लेते हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी में और बुक्स मंगाने की कोशिश की जा रही है।

रिपोर्टर : इंग्लिश में ही ज्यादा बुक्स क्यों हैं, हिंदी में क्यों नहीं है?

मौजूदा व्यक्ति : बस यही बुक्स हैं और मंगाने की प्लानिंग चल रही है।

शहीद स्मारक

रिपोर्टर 1:45

रिपोर्टर : सर यहां पर भारत का संविधान मिलेगा।

प्रभारी : नहीं यहां पर नहीं है।

रिपोर्टर : सर हमें तो भारत के संविधान के बारे में जानकारी लेनी थी। हमें लगा शहीद स्मारक से अच्छी कोई जगह नहीं है।

प्रभारी : नहीं यहां पर तो नहीं हैं, लेकिन अब जल्द ही मंगाया जाएगा।

कोई जानना नहीं चाहता संविधान

आंकड़ों के अनुसार तो शहर भर में इक्का-दुक्का को छोड़कर कोई देश के संविधान को जानना ही नहीं चाहता है। जीआईसी में पता लगा कि यहां पर पिछले दो सालों में केवल दो ही लोगों ने भारतीय संविधान से संबंधित बुक्स पढ़ी हैं। मेरठ कॉलेज में तो लाइब्रेरी में बुक्स नहीं है। केवल सिलेबस संबंधित डिपार्टमेंट में ही बुक्स हैं। सीसीएस यूनिवर्सिटी में 3500 स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। वहां पिछले दो सालों में केवल 20 ही स्टूडेंट ने संविधान संबंधित बुक्स को पढ़ा है।

मैने इससे पहले आठवीं के सिलेबस में दो चार लाइन पढ़ी थी। अब तैयारी के समय थोड़ा पढ़ना पड़ रहा है।

-सोनम, आईएएस प्रतियोगी

मैं तो एमबीए की स्टूडेंट हूं, इसलिए मुझे पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हां ये याद है कभी स्कूल टाइम में ही पढ़ाया गया था।

-संगीता, स्टूडेंट

हां पढ़ता हूं क्योंकि मैं पॉलिटीकल साइंस का स्टूडेंट हूं, इसलिए मुझे पढ़ना पढ़ता है।

-सुमित, एमफिल, पॉलिटीकल साइंस, स्टूडेंट

स्टूडेंट केवल अपने सिलेबस पर ही ज्यादा फोकस करते हैं। पहले स्टूडेंट देश के बारे में पढ़ने का इंट्रस्ट रखते थे। लेकिन अब स्टूडेंट इंट्रस्ट कम दिखाते हैं।

-राकेश, हेड, जीआईसी लाइब्रेरी

यूनिवर्सिटी में कुछ बुक्स हैं, स्टूडेंट केवल अपने सिलेबस के हिसाब से ही बुक्स को पढ़ना पसंद करते हैं। आजकल स्टूडेंट की पढ़ने में रुचि खत्म हो रही है।

-एनके तनेजा, वीसी, सीसीएस यूनिवर्सिटी