अफ़ग़ान शहर में इस हमले को कुछ हथियारबंदों ने अंजाम दिया है. पूरे इलाक़े को सुरक्षा बलों ने घेर लिया है.

एक बीबीसी संवाददाता ने बताया है कि यह हमला कई घंटों से जारी है और सुरक्षा बल हमलावरों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं.

अभी तक यह साफ़ नहीं है कि इस हमले के पीछे किसका हाथ है और न ही किसी के हताहत होने की ख़बर मिली है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट करके बताया है कि हेरात के वाणिज्य दूतावास में मौजूद सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं.

आईटीबीपी के 'बहादुर' जवानों और अफ़ग़ान सैनिकों ने मिलकर हमले को नाकाम कर दिया है. कार्रवाई अभी जारी है.

सैयद अकबरुद्दीन ने बताया है कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान के अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में हैं. विदेश सचिव सुजाता सिंह घटनाओं पर नज़र रखे हुए हैं.

पेशावर स्थित अफ़ग़ानिस्तान मामलों के जानकार रहीमुल्ला यूसुफ़ज़ई को बताया कि पिछले दिनों हेरात में तालिबान की गतिविधियां काफ़ी बढ़ गई हैं. शहरों तक में उनका प्रभाव बढ़ गया है. इसीलिए उनके लिए ऐसी कार्रवाईयां करना आसान हो गया है. ताज़ा हमले को भी इसी नज़रिए से देखा जा सकता है.

यूसुफ़ज़ई का कहना है कि इस हमले की ज़िम्मेदारी शायद कोई न भी ले.

2008 में भी हुआ था हमला

इससे पहले जुलाई 2008 में काबुल में मौजूद भारतीय दूतावास के बाहर बम विस्फोट में कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई थी.

इस आत्मघाती हमले में लगभग डेढ़ सौ लोग घायल हो गए थे.

हमले में भारतीय सेना के एक ब्रिगेडयर और भारतीय विदेश सेवा के एक अधिकारी समेत चार लोग मारे गए थे.

अफ़ग़ानिस्तान के सरकारी अधिकारियों के मुताबिक विस्फोटकों से भरी एक कार को आत्मघाती हमलावर ने भारतीय दूतावास के गेट पर टकरा दिया था जिसके बाद विस्फोट हुआ. हमले में दूतावास के दो वाहन नष्ट हो गए थे.

International News inextlive from World News Desk