उप वाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े पर आरोप है कि उन्होंने एक भारतीय नागरिक के लिए ग़लत दस्तावेज़ और जानबूझ कर ग़लत जानकारी पेश करके वीज़ा हासिल किया.

अमरीकी सरकारी वकील प्रीत भरारा का कहना है कि घरेलू सहायक के तौर पर अमरीका लाए गए विदेशी नागरिकों को भी शोषण के ख़िलाफ़ वही अधिकार प्राप्त हैं जो किसी अमरीकी नागिरक को मिलते हैं.

प्रीत भरारा का कहना था, “ये ग़लत बयानी और धोखाधड़ी इसलिए की गई जिससे कि इस घरेलू सहायक को अमरीका में जो मेहनताना क़ानून के तहत मिलता है उससे काफ़ी कम रकम पर रखा जा सके. इस तरह की धोखाधड़ी और किसी इंसान का इस तरह से शोषण यहां बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.”

बयान

न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस मामले पर फ़िलहाल कोई बयान नहीं दिया है.

अमरीकी ऐटॉर्नी कार्यालय की तरफ़ से जारी जानकारी के अनुसार खोबरागड़े को दो लाख पचास हज़ार डॉलर के निजी बॉंड पर रिहा कर दिया गया है और उन्हें अपने सभी यात्रा दस्तावेज़ अदालत में जमा करने का आदेश दिया गया है.

उन पर घरेलू सहायक या उसके परिवार के किसी सदस्य के साथ संपर्क स्थापित करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है.

अमरीकी विदेश विभाग की तरफ़ से अदालत में पेश दस्तावेज़ के अनुसार 2012 में इस सहायक के लिए वीज़ा हासिल करने के लिए जो दस्तावेज़ पेश किए गए उनमें कहा गया कि उसे अमरीकी क़ानून के अनुसार प्रति घंटे 9.75 डॉलर का मेहनताना दिया जाएगा.

लेकिन दस्तावेज़ों के अनुसार खोबरागड़े ने घरेलू सहायक के साथ एक और अनुबंध किया जिसमें उसकी मासिक आमदनी 25,000 रूपए और 5,000 रूपए ओवरटाइम रखी गई. वीज़ा आवेदन के समय अमरीकी डॉलर में ये रकम प्रति घंटे के हिसाब से 3.31 डॉलर ही बनती है.

अमरीकी विदेश विभाग के दस्तावेज़ के अनुसार, “खोबरागड़े ने इस सहायक को निर्देश दिया कि वो वीज़ा इंटरव्यू के दौरान अपनी आमदनी 9.75 डॉलर प्रति घंटे ही बताए और 30,000 रूपए के वेतन का ज़िक्र नहीं करे.”

खोबरागड़े पर ये भी आरोप है कि उन्होंने अमरीकी क़ानून के तहत कामगारों को दी जानेवाली दूसरी सुविधाओं का भी उल्लंघन किया.

उनपर वीज़ा धोखाधड़ी और ग़लत बयान देने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है और अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो पहले आरोप के तहत दस साल और दूसरे आरोप में पांच साल की सज़ा हो सकती है.

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