परमात्मा का ससुराल व मायका पक्ष एकजुट

सुसाइड इंसीडेंट के 17 दिन बाद दर्ज किया गया मुकदमा

ALLAHABAD: भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद में आईटी के प्रोफेसर अनुपम अग्रवाल के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज होने के बाद भाई को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रहे अश्वनी कुमार ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से कहा कि वह इंसाफ की लड़ाई जारी रखेगा ताकि कोई दूसरा परमात्मा सुसाइड करने पर मजबूर न हो।

इंस्टीट्यूट दे चुका है क्लीनचिट

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस मुद्दे को पहले दिन से प्रमुखता से उठाया और डायरेक्टर प्रो। पी नागभूषण से बात की तो उन्होंने जांच का भरोसा दिलाया। उन्होंने अपना वादा पूरा करते हुए जांच कमेटी भी गठित कर दी। इस कमेटी ने प्रो। अनुपम को क्लीनचिट दे दी थी।

कोर्ट तक खींच कर रहेंगे

परमात्मा की मौत के 17 दिन बाद मुकदमा दर्ज होने पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मृतक के परिजनो से बात की तो उन्होंने कहा कि मुकदमा दर्ज होने से उन्हें न्याय के उम्मीद की किरण जगी है। भाई अवनीश को शुक्रवार की सुबह तक एफआईआर की जानकारी नहीं थी। इसका कारण उनका गोरखपुर स्थित अपने घर पर होना था। गोरखपुर में महावीर छपरा थाना बेलीपार निवासी अवनीश ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि उनका भाई दुनिया से चला गया। अब उनके पास कुछ नहीं बचा है। लेकिन वे कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे। अवनीश ने कहा कि वे इलाहाबाद आकर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में पूरी जानकारी लेंगे। कहा कि उनका मकसद प्रोफेसर को जेल की सलाखों के पीछे तक ले जाना है। परमात्मा के ससुर और ऋतु के पिता राम सिंह यादव ने कहा कि एफआईआर से कम से कम अब इतना तो होगा कि आरोपी प्रोफेसर के अंदर भी डर पैदा होगा। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई को मिलकर लड़ेंगे। परमात्मा की पत्नी ऋतु यादव ने भी लड़ाई जारी रखने की बात कही है।

प्रोफेसर पर लगी धाराएं और उसमें सजा

306 उत्प्रेरण (आत्महत्या के लिए प्रेरित करना) सात साल तक की सजा

506 धमकी देना तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक सजा

हो सकती है गिरफ्तारी

इस मामले में लगाई गई धाराओं में सात साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके चलते पुलिस प्रोफेसर को गिरफ्तार भी कर सकती है। पुलिस सिर्फ उन मामलों में गिरफ्तारी नहीं करती जिसमें सजा सात साल से कम हो।