नई दिल्ली (पीटीआई) पिछले कुछ दिनों से व्हाट्सएप पर फर्जी खबरों की बाढ़ आने से देश के तमाम हिस्सों में बेवजह के बवाल और उपद्रव से सरकार काफी परेशान है। इस मामले में सरकार के दबाव कारण फेसबुक के स्वामित्व वाला व्हाट्सएप भी फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए अपनी ऐप और प्रोग्राम में लगातार कई बदलाव कर रहा है, ताकि उसके प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज को फैलने से रोका जा सके। मैसेंजिंग ऐप पर फेक न्यूज पर लगाम लगाने में भले ही व्हाट्सएप अब तक नाकाम रहा हो, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दिल्ली के कुछ टेक एक्सपर्ट्स फेक न्यूज पर लगाम लगाने में सफल होने वाले हैं।

एक्सपर्ट्स बना रहे ऐसी ऐप, जो फटाफट बताएगी फेक खबरों की सच्चाई
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ आईटी के कंप्यूटर साइंस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर Ponnurangam Kumaraguru और उनकी टीम एक ऐसी ऐप बना रही है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रही खबरों की सत्यता का पता लगाएगी। यानि यह ऐप व्हाट्सएप से लेकर तमाम सोशल मीडिया प्लेटफाफॉर्म पर फलाई जा रही खबरों और मैसेजेस को टेस्ट करके यह बता देगी कि वो सही खबर है या फर्जी, ताकि उन फर्जी मैसेज को आगे फैलने से रोका जा सकेगा।

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मॉब लिंचिंग जैसे मामलों को रोकने में बनेगी कारगर हथियार
हाल के दिनों में महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक बच्चा चोरों को लेकर फलाई गई फर्जी खबरों के कारण अलग अलग मामलों में भड़की भीड़ ने कई लोगों को पीट पीटकर मार डाला। खबरों की सच्चाई बताने वाली अपनी इस ऐप को लेकर प्रो. कुमारागुरु का कहना है कि हाल के दिनों में व्हाट्सएप पर फर्जी मैसेजेस से अफवाह उड़ाकर भीड़ को उकसाने और हमले कराने जैसे मामलों को देखते ही मैं कहना चाहता हूं कि इससे ऐसे मामलों को कंट्रोल करने में जरूर मदद मिलेगी।

फर्जी खबरों की पहचान के लिए लगा है रेड, येलो और ग्रीन सिग्नल
प्रो. कुमारागुरु के मुताबिक व्हाट्सएप पर फर्जी खबरों की पहचान के लिए हम अपनी ऐप के डेटाबेस में बहुत सारा डेटा इक्ट्ठा कर रहे हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं कि फर्जी खबरों की पहचान के लिए हमारे व्हाट्सऐप नंबर 9354325700पर भेजें। संदिग्ध मैसेजेस में से फर्जी खबरों को छांटकर हम उन्हें एक रैपर में डालने का प्रोग्राम डेवलप कर रहे हैं। ताकि वो मैसेजेस आगे बढ़ने से रुक सकें। उदाहरण के लिए अगर हमारे पास कोई मैसेज आता है तो ऐप अपने डेटाबेस के आधार पर उसकी सच्चाई की जांच करती है। अगर वो खबर सही होगी, तो उस मैसेज पर ग्रीन कलर का सिग्नल दिखाई देगा, येलो सिग्नल का मतलब है कि उस खबर की सच्चाई का पता नहीं चल सका है। रेड सिग्नल का मतलब होगा कि सौ फीसदी वो खबर फर्जी है।

दो महीने में पब्लिक यूज के लिए तैयार हो जाएगी ऐप
इस ऐप का विकसित कर रहे प्रो. कुमारागुरु के मुताबिक फर्जी खबरों की पहचान बताने वाली उनकी ऐेप उस मैसज में मौजूद तस्वीर, यूआरएल और उसके शब्दों को अपने डेटाबेस से मैच करेगी। इसके आधार पर खबर की सच्चाई का पता लगाया जा सकेगा। उनके मुताबिक फर्जी खबरों को पहचानने वाली यह ऐप 2 महीने के भीतर आम लोगों के यूज करने लायक बन जाएगी।

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