-एपीकॉन में मरीजों के बीच बेहतर संबंध से लेकर डायबिटीज की रोकथाम पर हुई चर्चा

-डायबिटीज और हार्ट डिसीज पर स्वास्थ्य के बजट का ज्यादा किया जाए खर्चा

आगरा। केएनसीसी फतेहाबाद में एपीकॉन में दूसरे दिन मंगलवार को अन्तर्राष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ। एंड्रू जेएम बुल्टन ने बताया कि डायबिटीज रिवर्सिबल है। यानी एक बार दवा शुरू होने के बाद बंद भी हो सकती हैं। डायबिटीज के मरीजों को उम्रभर दवा लेने की जरूरत नहीं है। अमेरिका में हुए शोध में सामने आया है कि कम कैलोरी लेने से डायबिटीज ठीक हो सकता है।

'मरीजों से बात करें डॉक्टर'

डॉ। अमित घोष ने शेयर डिसीजन मेकिंग विषय पर बताया कि डॉक्टर परचे पर दवाएं लिखने के बजाय मरीजों से बात भी करें और उनकी सुनें। मरीजों से बात किस बीमारी और स्थिति में किस तकनीक से साथ बात करनी है, यह डॉक्टरों को आना चाहिए। डॉक्टर अपने फायदे की जगह मरीजों की भलाई देखें। इंडियन एकेडमी ऑफ डायबिटीज के अध्यक्ष डॉ। शशांक जोशी ने बताया कि डायबिटीज के इलाज से ज्यादा रोकथाम पर काम करने की जरूरत है। यह संभव है, इसके लिए धीरे-धीरे खाना खाएं, समय पर खाना खाएं, पूरी नींद लें, 45 मिनट टहलें। इससे डायबिटीज की रोकथाम संभव है। वजन को संतुलित रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि डायबिटीज का बड़ा कारण मोटापा है। पुरुषों की कमर 90 सेंटीमीटर से अधिक और महिलाओं की कमर 80 सेंटीमीटर से अधिक है तो डायबिटीज की आशंका रहती है। इसलिए अपना वजन कम रखना चाहिए। कॉन्फ्रेंस में आयोजन अध्यक्ष डॉ। टीपी सिंह, सचिव डॉ। पीके माहेश्वरी, डॉ। मनीष बंसल, डॉ। प्रभाग अग्रवाल, डॉ। आशीष गौतम, डॉ। अंजना पांडे, डॉ। निखिल पुरसनानी, डॉ। मधु चतुर्वेदी मौजूद रहे।