फ्लैग-शहर में सबसे हरा-भरा वार्ड मिला इंद्रानगर, जबकि सबसे बदहाल संजय नगर

-नगर निगम सभी 80 वार्डो के हरे-भरे होने का कर दावा, हकीकत में 35 से ज्यादा अभी भी बदहाल

-कई वार्डो में सड़क पर भरा रहता है सीवर का पानी, हरियाली के नाम पर सिर्फ लगे एक दो पेड़

बरेली: नगर निगम शहर के सभी 80 वार्डो के हरे-भरे होने का दावा कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही कहती है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने ट्यूजडे को शहर के कई वार्डो में रियलिटी चेक किया तो पाया 35 से ज्यादा अभी भी बदहाल पड़े हैं। ग्रीनरी के नाम आपको सिर्फ एक या दो पेड़ मिलेंगे। गंदगी और बदबू की वजह से लोगों का सांस लेना तक दूभर है। वहीं शहर का इंद्रा नगर ग्रीनरी में सबसे अच्छा तो संजय नगर सबसे बदहाल मिला।

दो साल में 8 करोड़ खर्च

शहर के 80 वार्डो को हरा-भरा बनाने के लिए दो साल में 8 करोड़ रुपए खर्च किए गए। लेकिन इसके बाद स्थिति खराब है। कई वार्डो में पौधरोपण कराया ही नहीं जाता है और जहां कराया जाता है वहां देखरेख नहीं होती है।

अभी नहीं हुई गिनती

पौध रोपण के बाद उनकी गणना की जाती है, जिसमें देखा जाता है कि कितने पौधे ग्रोथ कर रहे हैं और कितने सूख गए। लेकिन इस बार 49 हजार 750 पौधे रोपे गए, जिनकी अभी तक गणना नहीं की गई है।

अवेयरनेस से बढ़ी ग्रीनरी

इंद्रानगर वार्ड के लोगों के अवेयरनेस की वहां ग्रीनरी बढ़ी है। वे नगर निगम द्वारा रोपे गए पौधों की खुद ही देखरेख करते हैं साथ ही वे पौधे भी लगाते रहते हैं। इसी वजह से वार्ड के आठ पार्क हरे-भरे हैं। डी ब्लाक, चिरंजीलाला, श्यामा प्रसाद मुख्रर्जी, शहीद पंकज अरोरा, झूले लाल और निक्कू आदि पार्को में ग्रीनरी बहुत ही अच्छी है।

लाइफलाइन हैं पौधे

ग्रीनरी के कारण वार्ड मॉडल बन गया है। यहां हर कोई पौधों के लेकर संवेदशील है। हमलोग पौधों की देखभाल में मदद करते हैं।

- एसडी शर्मा

पौधे हमलोगों की लाइफ लाइन हो गए हैं। इसकी देखभाल हम लोग मिलकर करते हैं।

-विशाल सक्सेना

अब तक मेन सड़क पर मैंने पांच हजार पौधे लगाए हैं, जिनमें कुछ को छोड़ दें तो सभी ग्रोथ कर रहे हैं। यह सब वार्ड के लोगों की मदद से ही संभव हुआ।

- सतीश चंद्र सक्सेना कातिब, पार्षद

सिर्फ एक दो ही पेड़

कहने को तो संजय नगर वार्ड डेवलप है। यहां दुकानें और स्कूल्स भी हैं, लेकिन ग्रीनरी के नाम पर सिर्फ एक दो जगह ही पेड़ लगा है। वहीं सड़कों पर महीनों तक पानी भरा रहता है जिससे लोगों को सांस लेने में भी परेशानी होती है।

चंदे से होता काम

वार्ड में गंदगी की वजह से मोहल्लों में बीमारियां पसरी हुई हैं। क्षेत्रीय लोग इसस निजात पाने के लिए चंदा करके काम कराते हैं, लेकिन फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

याद नहीं पौधरोपण

ग्रीनरी की बात करना यहां जमीन पर चांद लाने के बराबर है. मेरे घर में पानी अक्सर घुस जाता है। यहां तो कोई आता नहीं पौध रोपण क्या कराएंगे

-नीतू

यहां पौध रोपण कब हुआ मुझे याद नहीं है, किंतु कई माह से सड़क पर पानी लगा है, जनप्रतिनिधि भी आश्वासन देकर मुंह मोड़ लेते हैं।

-महावीर प्रसाद शर्मा

मेरे वार्ड में विकास कार्य कराने को लेकर नगर निगम के अफसर निरंकुश हो गए हैं। पौध रोपण कराया ही नहीं गया था। 11 फाइलों में 7 पर टेंडर ही नहीं हुआ है। हालांकि सड़क की समस्या का समाधान जल्द हो जाएगा।

-अश्वनी कुमार पार्षद

नगर निगम के सभी 80 वार्डो में ग्रिनरी है। माली की मदद से उसकी देखभाल की जा रही है। इस वर्ष हुए पौध रोपण की गणना कराई जानी है।

-संतराम हेडमाली

संजय नगर नीचला इलाका है। इस वजह से वहां दिक्कत हो रही है। वहां पौध रोपण कराया गया था, किंतु सूख गए। हालांकि उपाय किए जा रहे हैं।

-ईश शक्ति कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त

वर्ष रोपित पौधे-जीवित पौधे-सूखे पौधे

2017 18-7782-7050-750

2018 19-45842 43550 2292

2019 20 49750 अभी गणना नहीं हुई

पौधों पर कितना किया खर्च

वर्ष-कुल खर्च-रोपण-सिंचाई-सुरक्षा

2017 1373222-407500-293222-672500

2018 82301928-933925-325153-1042850

यह वार्ड अभी भी बदहाल

शहर के हजियापुर, बांसमंडी, वीर भट्ठी, मढ़ीनाथ, शांति विहार, गणेश नगर, संजय नगर, बाकरगंज, मीरा की पैठ, बिहारीपुर मेमारान, बिहारीपुर खत्रियान, बानखाना, चक महमूद, कालीबाड़ी, कांकरटोला और रोहिला टोला वार्ड अभी भी बदहाल हैं। यहां पर ग्रीनरी तो दूर अभी मूलभूत सुविधाएं ही नहीं हैं।