-प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स ने एक सुर में की रैगिंग की मुखालफत

-रैगिंग का दंश बर्बाद कर सकता है सुनहरा भविष्य बर्बाद

>BAREILLY

रैगिंग पर कैसे लगाम लगाया जाए। इस मसले पर चर्चा करने के लिए थर्सडे को प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स एक मंच पर आए। सभी ने एक सुर में कहा कि अनुशासन से ही रैगिंग पर लगाम लगाई जा सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि रैगिंग का दंश किसी भी स्टूडेंट्स का फ्यूचर खराब कर सकता है। इसलिए सीनियर रैगिंग न करें। इस दौरान सभी ने जूनियर और सीनियर के बीच संवाद की वकालत भी की गई।

ये हैं सॉल्यूशन

-स्टूडेंट्स को स्कूल्स स्तर से अनुशासन सिखाया जाए।

-स्टूडेंट्स को स्कूल्स स्तर से सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाया जाए।

-जूनियर्सऔर सीनियर्स के आई कार्ड अलग-अलग रंग के हों।

-यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज में जूनियर्स और सीनियर्स के बीच संवाद स्थापित कराए जाएं।

-यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।

-यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज में क्विक रिस्पॉन्स टीम का गठन हो।

-एंटी रैगिंग सेल तुरंत एक्शन ले।

-पेरेंट्स रैगिंग के प्रति अवेयर करें।

कॉलेज कैंपस में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए जाएं। तो इससे काफी हद तक रैगिंग पर रोक लगेगी। क्योंकि स्टूडेंट्स रैगिंग से डरेंगे। वहीं, ईयर वाइस अलग-अलग रंग के आई कार्ड जारी किए जाएं।

डॉ। विपुल कुमार मेहरोत्रा, चीफ प्रॉक्टर महाराजा अग्रसेन कॉलेज

रैगिंग क्विक रिसपॉन्स टीम का गठन किया जाए। टीम शिकायत मिलते ही क्विक रिस्पॉन्स करे। तो सीनियर्स भी रैगिंग से डरेंगे और जूनियर्स भी अपने आप का सेफ फील करेंगे। रैगिंग की शिकायत आने पर गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया जाता है।

डॉ। वीके सिंह, चीफ प्रॉक्टर श्री सिद्धि विनायक ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट

जूनियर सीनियर्स का सम्मान करेंगे, तो रैगिंग स्वत: ही खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही सीनियर्स जूनियर्स की मदद करेंगे। इसके अलावा कॉलेज मैनेजमेंट को एडमिशन प्रक्रिया खत्म होते ही सामूहिक रूप से जूनियर्स और सीनियर्स का संवाद करा देना चाहिए।

अजीत पटेल, विभाग संयोजक एबीवीपी

सीनियर्स द्वारा जूनियर्स की रैगिंग करना गलत है। लेकिन जूनियर्स का इंट्रोडक्शन होना सही है। इससे जूनियर्स कॉलेज के नियम और कायदे सीखता है। साथ ही उसे पता चलता है कि प्रोफेसर्स और सीनियर्स का किस तरह सम्मान करना है।

अवनीश चौबे, जिला संयोजक एबीवीपी

रैगिंग के तौर पर पहले सीनियर्स केवल जूनियर्स से नाम पता पूछा करते थे। लेकिन, अब तो रैगिंग के नाम पर अमानवीय व्यवहार किया जाता है। स्टूडेंट्स को स्कूल्स स्तर पर ही अनुशासन और सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाए जाएं ताकि वह अपनी सुरक्षा कर सकें।

सहरिश हुसैन, प्रिंसिपल क्रिसेंट पब्िलक स्कूल

रैगिंग पर रोक लगाने का एक मात्र उपाय अवेयरनेस और दोस्ताना माहौल है। कॉलेज में जब दोस्ताना वातावरण होगा, तो सीनियर्स जूनियर्स से फ्रैंडली विहेव करेंगे। रैगिंग जैसा विचार किसी के मन में नहीं आएगा।

डॉ। विकास पांडे, प्रॉक्टर बीसीबी

पेरेंट्स जब अवेयर होगें, वह स्टूडेंट्स को रैगिंग करने पर होने वाली कानूनी कार्रवाई की जानकारी देंगे, तो स्टूडेंट्स डरेगा। रैगिंग की घटनाओं में कमी आएगी। पेरेंट्स स्टूडेंट्स पर ध्यान नहीं देते हैं।

राजेश जसोरिया, महानगर अध्यक्ष व्यापार मंडल

यूनिवर्सिटी और कॉलेज स्तर पर सीनियर्स और जूनियर्स के बीच संवाद नहीं होता है। इस कारण रैगिंग का बढ़ावा मिलता है। जिस दिन से यूनिवर्सिटी और कॉलेज स्तर पर जूनियर्स और सीनियर्स में सीधे संवाद स्थापित करने से रैगिंग रुकेगी।

विराट कन्नौजिया, छत्र आरयू

रैगिंग को जड़ से उखाड़ फेंकने में स्कूल्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्कूल्स से ही स्टूडेंट्स को रैगिंग के दुष्प्रभावों के बारे में बताया जाए। तो वह कॉलेज में रैगिंग नहीं करेंगे।

उमंग कौशिक, ओनर एसेंट पब्िलक स्कूल

रैगिंग की घटना पर होने कॉलेज मैनेजमेंट कड़ा रुख अपनाए, तो सीनियर्स रैगिंग से डरेगा। इससे रैगिंग की घटना में कमी आएगी। रैगिंग की घटना होने के बाद जांच की प्रक्रिया को इतना लंबा कर दिया जाता है कि जूनियर भी हारकर बैठ जाता है।

मुकुंद बास, महानगर कोषाध्यक्ष व्यापार मंडल

सीनियर्स जब अवेयर होंगे। उन्हें पता होगा कि रैगिंग में दोषी होने पर उनके खिलाफ क्या-क्या कार्रवाई हो सकती है, तो वह रैगिंग से दूरी बनाएं। इस तरह रैगिंग की घटनाओं में कमी आएगी।

राजीव दीक्षित, एएनए कॉलेज

रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और यूजीसी ने काफी सख्त कानून बना रखे हैं। लेकिन सख्ती से उनका पालन नहीं हो पाता है। इस कारण आए दिन रैगिंग की घटनाएं होती रहती हैं।

रजनीश सक्सेना, फाउंडर रियल फॉर कल्चरल एजुकेशनल वेलफेयर सोसायटी

कॅरियर हो सकता है बर्बाद

रैगिंग के आरोप में दोषी पाए जाने से स्टूडेंट्स का कॅरियर बर्बाद हो सकता है। इसलिए उन्हें रैगिंग करने से बचना चाहिए। क्योंकि रैगिंग करना बिल्कुल गलत है।

केपी सिंह, इंस्पेक्टर

शैक्षिक सत्र स्टार्ट होते ही कॉलेजेज को जूनियर्स और सीनियर्स की काउंसलिंग करानी चाहिए। इसमें पुलिस की भी मदद लेनी चाहिए। ताकि सभी को पता चल सके कि रैगिंग करने की क्या सजा है।

मुकुंद मिश्र, इंस्पेक्टर

जूनियर और सीनियर के बीच स्वस्थ संवाद हो जाए तो काफी हद तक रैगिंग से निजात पाई जा सकती है। यदि सीनियर छात्र जूनियर को एकेडमिक्स के लिए एडॉप्ट करें तो रैंिगंग पर स्वत: लगाम लग जाएगी।

नवनीत शुक्ल, रिसर्च असिस्टेंट