- गंदे स्ट्रेचर्स को बिना साफ किए बार-बार किया जाता है इस्तेमाल

- साफ-सफाई के सभी मानकों को फॉलो नहीं कर रहे अस्पताल कर्मी

LUCKNOW: केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में इंफेक्शन का खतरा मंडराता रहता है। ट्रॉमा में आने वाले मरीजों को एक ही स्ट्रेचर पर लगातार शिफ्ट किया जाता है जबकि स्ट्रेचर पर ब्लड, पस या अन्य संक्रमण फैलाने वाली चीजें छूट जाती हैं। साफ-सफाई के मानकों को गंभीरता से फॉलो नहीं किया जा रहा है। ऐसे में मरीज को संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।

हो सकता है भीषण संक्रमण

डॉक्टर्स की माने तो मरीजों के साथ असंख्य बैक्टीरिया और वायरस आते हैं। उन्हें जो बीमारी होती है उस बीमारी को फैलाने वाले कारक तो खासतौर से उपस्थित होते हैं। जब उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाया जाता है तो उनका ब्लड, पस जैसे गम्भीर संक्रमण पैदा करने वाले कारक वहीं छूट जाते हैं। फिर दूसरे मरीज को उसी स्ट्रेचर पर लिटा दिया जाता है। ऐसे में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।

नहीं होती स्ट्रेचर की सफाई

नियमों के मुताबिक हर मरीज के लिए स्ट्रेचर पर एक नई प्लास्टिक शीट प्रयोग करनी चाहिए लेकिन ऐसा होता कभी नहीं है। आलम यह है कि इसी संस्थान में कार्डियक सर्जरी व अन्य कई विभागों में कई बार ओटी में संक्रमण होने के कारण मरीजों की जान पर बन आती है। मगर प्रशासनिक अधिकारी कोई सुध नहीं लेना चाहते।

अन्य अस्पतालों का यही हाल

सिटी के बलरामपुर, सिविल और लोहिया अस्पताल में यही हाल है। यहां पर तो इमरजेंसी में एक ही बेड पर बारी-बारी से सभी मरीजों को लिटाकर उनकी ड्रेसिंग फ‌र्स्ट एड सब कर दिया जाता है। न तो कभी चद्दर चेंज होती है और न ही प्लास्टिक सीट। हद तो यह है कि कभी इन्हें विसंक्रमित तक नहीं किया जाता है। तीमारदार भी उस समय इतने परेशान रहते हैं कि वे साफ-सफाई के इन मानकों पर ध्यान नहीं देते हैं।

यहां स्ट्रेचर पर ब्लड देखकर डर लगता है लेकिन अपने मरीज के दर्द के आगे सब भूल गए और स्ट्रेचर से ले जाना मजबूरी है। ऐसे हालत में मना भी नहीं कर सकते।

राम सिंह, अटेंडेंट

बेड की चद्दर पर भी ब्लड और स्ट्रेचर पर गंदगी देखकर रोंगटे खड़े हो गए। बड़ी मुश्किल से यहां पर स्ट्रेचर ही मिलता है। गंदा है इस पर ध्यान बाद में जाता है यह मजबूरी है। गंदगी ही गंदगी है लेकिन यहां इलाज कराना मजबूरी है।

लक्ष्मी, अटेंडेंट

स्ट्रेचर किसी पेशेंट का ब्लड लग गया है तो दूसरे मरीज को यूज करने से पहले से हाइली डिइंफेक्टेंट साल्यूशन से क्लीन करना चाहिए। यह जरुरी है। वर्तमान में हॉस्पिटल एक्वायर्ड इंफेक्शन की समस्या बढ़ रही है जिसके कारण डब्ल्यूएचओ ने इस पर ध्यान देना शुरु किया है। इसके बाद से सभी अस्पतालों में इसके लिए कमेटियों का भी गठन किया गया है।

डॉ। विनीता मित्तल, एचओडी, माइक्रोबायोलॉजी, लोहिया इंस्टीट्यूट

एक सफाई कर्मी राउंड द क्लाक ट्रॉमा में रहता है जिसका काम ही स्ट्रेचर की सफाई करना है। हर बार स्ट्रेचर की सफाई के बाद ही दूसरे पेशेंट को स्ट्रेचर से शिफ्ट किया जाता है। इसमें कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर कोई कर्मचारी लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मरीजों की सुविधा के लिए भ्0 नए स्ट्रेचर की व्यवस्था ट्रॉमा में की गई है।

डॉ। एससी तिवारी, सीएमएस, केजीएमयू