मई से शुरू हुई थी महंगाई दर में गिरावट आनी
जानकारी है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर बीते सितंबर महीने में 2.38 प्रतिशत पर आकर टिकी थी. वहीं पिछले साल अक्टूबर महीने में यह प्रतिशत 7.24 के आंकड़े की ऊंचाई पर था. सरकार की ओर से जारी किए आंकड़ों पर नजर डालें तो अक्टूबर महीने के दौरान खाद्य सामग्रियों पर महंगाई दर घटकर 2.7 प्रतिशत पर आ गई. गौर करें तो यह करीब ढाई साल का सबसे निम्न स्तर है. खाद्य सामग्रियों की महंगाई दर में इस साल मई महीने से गिरावट आनी शुरू हो गई थी.      

लगातार पांचवे महीने भी गिरी है महंगाई दर
गौरतलब है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर में लगातार पांचवे महीने भी गिरावट आई है. यह गिरावट खुदरा मूल्यों के आधार पर अक्टूबर में रिकॉर्ड 5.52 प्रतिशत पर नीचे आने की पृष्ठभूमि में आई है. जानकारी है कि अक्टूबर महीने के दौरान प्याज की कीमत में 59.77 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. वहीं सितंबर महीने में इसमें 58.12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी.

खाद्य सामग्रियों में कुछ ऐसे बढ़ा-घटा कीमतों का ग्राफ
इसी तरह से अक्टूबर महीने के दौरान सब्जियों की कीमत में 19.61 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी. वहीं मांस-मछली और अंडे की कीमत में 2.58 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. अक्टूबर महीने में आलू के दाम में 82.11 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं इससे पिछले महीने इसमें 90.23 प्रतिशत की तेजी आई थी. चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थ और सीमेंट जैसी विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में 2.43 प्रतिशत की गिरावट आई. सितंबर महीने में इनकी कीमतों में 2.84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी.

2 दिसंबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा आरबीआई
अगस्त महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 3.85 प्रतिशत पर थी. वहीं पिछले साल के इसी माह में यह दर 3.74 प्रतिशत पर थी. अक्टूबर के दौरान डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस और बिजली की दरों में 0.43 प्रतिशत की गिरावट आई. उधर, सितंबर में इनकी कीमत 1.33 प्रतिशत बढ़ी थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महंगाई दर पर लगाम लगाने के लिए जनवरी में अपनी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को स्थिर रखा था. इसको ध्यान में रखते हुए अब आरबीआई दो दिसंबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा भी करेगा.

आरबीआई पर ब्याज दरों में कमी लाने का बढ़ेगा दबाव
अक्तूबर महीने में खुदरा और थोक मुद्रास्फीति दोनों में ही गिरावट आने के साथ सितंबर के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में आए सुधार को ध्यान में रखते हुए अब रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कमी लाने का दबाव बढ़ेगा. विनिर्माण और पूंजीगत सामानों के क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ीं. ऐसे में सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि तीन महीने के उच्चतम स्तर 2.5 प्रतिशत पर पहुंच गई. जानकारी है कि उद्योग जगत लगातार ब्याज दरों में कमी की मांग करता आ रहा है. वर्ष 2013-14 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.7 प्रतिशत रही. वहीं चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 5.4 से 5.9 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान भी बखूबी लगाया जा रहा है.

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