समस्या

जरूरतें पूरी न होने से हो रहा स्ट्रेस

पब्लिक को बीमार बना रही महंगाई

- मेरठ में आर्थिक तंगी के चलते 36 फीसदी लोग डिप्रेशन के शिकार

- विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्वे रिपोर्ट में सामने आया सच

आई स्पेशल

sundar.singh

मेरठ: बढ़ती महंगाई और हिंसा जहां रिश्तों का तानाबाना खराब कर रही है। वहीं व्यक्ति को डिप्रेशन की ओर ले जा रही है। हाल ही में कराए गए डब्ल्यूएचओ के सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारत के निवासी अन्य देशों की तुलना में महंगाई की मार के चलते ज्यादा मानसिक रोगी बन रहे हैं। अकेले मेरठ जनपद में 36 फीसदी लोग महंगाई के चलते डिप्रेशन के शिकार हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट

व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत दुनिया का पहला देश है, जहां सबसे ज्यादा लोग डिप्रेशन का मरीज बन रहे हैं। इसमें मेरठ का आंकड़ा निकाला जाए तो अकेले जनपद में लगभग 36 प्रतिशत लोग महंगाई की मार के चलते मानसिक रूप से रोगी हो चुके हैं।

1200 लोगों से की बातचीत

संगठन के सदस्यों ने शहर के विभिन्न स्थानों जैसे हस्तिनापुर, मेरठ शहर, सरधना, किठौर आदि स्थानों पर जाकर हर उम्र के 1200 लोगों से बातचीत की। जिसमें से 334 लोगों ने माना की महंगाई की वजह से उन्हें डिपे्रशन हुआ है। इसमें भी चौकाने वाली बात ये है कि मेरठ शहर में सबसे ज्यादा 223 लोगों ने महंगाई के चलते डिपे्रशन स्वीकारा है।

महंगाई डायन से डिप्रेशन

मनोरोग चिकित्सक डॉ। रवि राणा का कहना है कि मैक्सिमम स्ट्रेस की वजह से डिप्रेशन होता है। इस समय महंगाई इतनी है कि लोग अपनी नीड फुलफिल नहीं कर पाते। हमारे यहां आज डिप्रेशन इतना आम हो गया है। अधिकतर लोग डिप्रेशन को सामान्य उदासी की तरह ही देखते हैं। सीवियर डिप्रेशन के मरीज 90 परसेंट तक आत्महत्या की तरफ बढ़ जाते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि आज केवल वयस्क ही नहीं बल्कि बच्चे भी डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं।

मुश्किल हो गई हमारी लाइफ

साइकोलॉजिस्ट डॉ। संजय कहते हैं कि आज के आधुनिक जीवन की जटिलताओं और सामाजिक, आíथक समस्याओं के कारण डिप्रेशन एवं आत्महत्या की घटनाओं में तेजी आई है। साथ ही आज जरूरत इस बात की है कि सामाजिक स्तर पर किसी मानसिक समस्या को देखने के तौर तरीके एवं दृष्टिकोण में बदलाव लाया जाए।

विश्व पर एक नजर

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 18 देशों में करीब 90 हजार लोगों पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में सबसे ज्यादा 42 फीसदी लोग मेजर डिप्रेसिव एपिसोड का शिकार हैं। दूसरे नंबर पर है फ्रांस जहां 32.3 फीसदी लोग इसके शिकार हैं। तीसरे नंबर पर है अमेरिका है जहां 30.9 फीसदी लोग इसके शिकार हैं। इस सूची में सबसे नीचे चीन है, जहां 12 प्रतिशत लोग डिप्रेशन के शिकार हैं।

डिप्रेशन में महिलाएं आगे

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में 12 करोड़ 10 लाख लोग डिप्रेशन का शिकार होते हैं जिसमें से साढ़े आठ लाख लोग अपनी जान तक दे देते हैं। भारत में मध्यम आयु से ही लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं, यहां डिप्रेशन के शिकार लोगों की औसत उम्र 32 साल के आसपास है। भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में डिप्रेशन का प्रकोप दोगुना है।

केस

45 साल के राघव कुछ दिनों पहले मनोरोग चिकित्सक से मिले। उनका कहना था कि उनके साथ जिन लोगों ने अपना करियर शुरू किया था वो आज जीएम के पद तक पहुंच गए हैं। मगर मैं आज भी बहुत पीछे हूं। इतनी महंगाई के दौर में मेरे परिवार को सफर करना पड़ रहा है। ये गिल्ट इस कदर भर गया कि वो मानसिक रूप से परेशान हैं और अब डॉक्टर से ट्रीटमेंट ले रहे हैं।

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