महंगाई बढ़ाने में जिंस वायदा बाजारों की भूमिका

मोदी कमेटी की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ाने में जिंस वायदा बाजारों की भूमिका के स्पष्ट प्रमाण हैं. वायदा बाजार और हाजिर बाजार के बीच मूल्यों का भारी अंतर है. महंगाई पर तत्काल काबू पाने के लिए आवश्यक वस्तुओं को वायदा बाजार के दायरे से अलग कर दिया जाना चाहिए. रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि केंद्रीय स्तर पर प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड का गठन किया जाए ताकि महंगाई के समय राज्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए खरीद कर सकें.

मोदी की पहली प्राथमिकता महंगाई पर काबू

रिपोर्ट की चुनिंदा सिफारिशों को समझने और उन्हें लागू करने के तरीकों पर खाद्य व उपभोक्ता मंत्रालय के अफसर रात दिन एक किए हुए हैं. भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली प्राथमिकता महंगाई पर काबू पाने को लेकर उपभोक्ता मंत्रालय के अफसरों की सांसें अटकी हुई हैं. इसी बीच मोदी की अध्यक्षता में गठित मुख्यमंत्रियों के कार्य समूह की सिफारिशों की उन्हें याद आ गई. मंत्रालय के आला अफसर हरकत में आ गए हैं. लगातार बैठकों का दौर चल रहा है.

मनमोहन ने की थी मोदी कमेटी के सिफारिशों की प्रशंसा

बेकाबू होती महंगाई पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देश पर वर्ष 2010 में तीन अलग-अलग कार्य समूहों का गठन किया गया था. इनमे उपभोक्ता मामलों के एक समूह का नेतृत्व गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा गया था. उनके समूह में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री सदस्य के रूप में नामित किए गए थे. महंगाई रोकने के उपाय सुझाने वाले इस कार्य समूह ने अपनी सिफारिशें जनवरी 2011 में सौंपी थी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कार्य समूह की सिफारिशों की खूब प्रशंसा की थी. इसके बावजूद सिफारिशें लागू नहीं की गई.

महंगाई रोकने के लिए 82 सिफारिशें

मोदी कमेटी की रिपोर्ट में कुल 80 से अधिक सिफारिशें की गई हैं. इनमें महंगाई रोकने के लिए 20 तात्कालिक उपाय सुझाए गए हैं और 62 सुझाव दीर्घकालिक हैं. मगर इनमें से किसी पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई. सिफारिशों का पुलिंदा मंत्रालयों की अलमारियों में डाल दिया गया. मोदी की पहली प्राथमिकता महंगाई पर नियंत्रण पाना है ताकि 'अच्छे दिन आने वाले हैं', के नारे को पूरा किया जा सके. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में मोदी की सिफारिशों पर चर्चा शुरू हो गई है. मंत्रालय की बैठकों में रोजमर्रा की वस्तुओं के मूल्यों में कमी लाने के उपाय ढूंढने और उन पर अमल करने पर चर्चा हो रही है.

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