-महंगाई के चलते नौकरीपेशा लोगों की इनकम खर्चे चलाने में पड़ रही कम

-रोजमर्रा के खर्चो में हुई है तेजी से बढ़ोत्तरी

आगरा। महंगाई की मार इस टाइम हर कोई झेल रहा है। लेकिन नौकरीपेशा लोगों के लिए महंगाई बढ़ने से बड़ी मुश्किल हो गई है। उनका कहना है कि उनके खर्चे तो लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन इनकम में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। दिसंबर महीने की खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 परसेंट पर पहुंच गई। यह इसका पिछले पांच साल का सबसे ऊंचा स्तर है। अब तो इन नौकरीपेशा लोगों को केवल सीता जी यानि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण से ही उम्मीद है। वे एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में कुछ ऐसी जादू की छड़ी घुमाएं कि इन नौकरीपेशा लोगों को महंगाई से निजात मिल जाए।

नहीं चल पा रहे हैं खर्चे

महंगाई बढ़ने से सिटी के नौकरीपेशा लोगों को काफी शिकायतें हैं। उनकी इनकम तो लिमिटेड है, लेकिन मंहगाई के कारण खर्चो में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। इस कारण इनके खर्चे भी नहीं चल पा रहे हैं। बच्चों की स्कूल की फीस, घर की ग्रॉसरी, टीवी का रिचार्ज, मोबाइल रीचार्ज, ऑफिस जाने का कनविनियंस, जिम की फीस, इलैक्ट्रीसिटी बिल, गैस का बिल जैसे जरूरी खर्चे को कम करना तो पॉसिबल नहीं है और इनमें भी तेजी से रेट्स हाई हुए हैं। इसलिए नौकरीपेशा लोगों को घर चलाने के लिए अपने पर्सनल खर्चो में कटौती करनी पड़ रही है। वे अब वीकेंड्स पर घूमने जाने को अवॉइड कर रहे हैं। बच्चों को पिकनिक ले जाना, फैमिली को मूवी ले जाना, बाहर डिनर करना, दोस्तों के साथ पार्टी करना ये सभी इन लोगों ने अब लगभग बंद कर रखा है।

नहीं पूरे कर पा रहे फैमिली की एक्सपैक्टेशंस

मंहगाई के कारण नौकरीपेशा अपने और अपनी फैमिली की एक्सपैक्टेशंस पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। किसी को अपनी फैमिली के लिए कार खरीदनी है, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। किसी को फैमिली को वैकेशन पर ले जाना था। लेकिन मंहगाई के कारण वैकेशन के लिए सेविंग्स नहीं हो पाई और प्लान कैंसल हो गया। इस टाइम वेडिंग सीजन भी चल रहा है। वेडिंग सीजन में बजट में अलग से खर्चे जुड़ जाते हैं। वेडिंग सीजन में फैमिली को और रिलेटिव्स को भी आपसे कुछ एक्सपैक्टेशंस होती हैं। इन्हें पूरा करना नौकरीपेशा लोगों के लिए मुश्किल हो रही है।

पिछले पांच साल में चरम पर महंगाई

जुलाई 2016 के बाद दिसंबर 2019 पहला महीना था, जब महंगाई दर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अपर लिमिट (2-6 परसेंट)को क्रॉस कर गई। अक्टूबर में मंहगाई दर 4.62 फीसदी पर पहुंच गई थी। इसके बाद नवंबर में ये बढ़कर 5.54 परसेंट हो गई। दिसंबर में ये 7.35 परसेंट हो गई। यह इसका पांच साल में सबसे अधिक ऊंचा स्तर है। इससे पहले जुलाई 2014 में खुदरा मंहगाई दर 7.39 परसेंट पर पहुंच गई थी।